तापमान में विश्वव्यापी वृद्धि


प्रश्नः क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि हाल ही की यूएन रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिकरण पूर्व स्तरों की तुलना में विश्व तापमान में 3.5 डिग्री की वृद्धि हो सकती है, यदि हां, तो तत्संबंधी कारण क्या हैं_ सरकार द्वारा इस बारे में कौन-से ठोस कदम उठाए गए हैं?

(नामा नागेश्वर राव द्वारा लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो द्वारा दिया गया उत्तरः संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के विभिन्न संगठनों की कई रिपोर्टों में वैश्विक तापमान में संभावित वृद्धि पर आवधिक रूप से विचार किया गया है। ऐसी वृद्धि को सीमित करना इस बात पर निर्भर करता है कि सभी देश ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जनों में वृद्धि को किस सीमा तक कम अथवा नियंत्रित कर सकते हैं। यदि सामूहिक रूप से विश्व जीएचजी उत्सर्जनों को नहीं रोकता है, तो शताब्दी के अंत तक पूर्व-औद्योगिकीकरण स्तरों की तुलना में वैश्विक तापमान में 3 से 5°C वृद्धि होने की संभावना है।

  • जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतरसरकारी पैनल (IPCC) सहित विभिन्न स्रोतों से रिपोर्टें दर्शाती हैं कि वैश्विक ताप के कारण पेश आ रहीं चुनौतियां मुख्य रूप से विकसित देशों के संचयी ऐतिहासिक और वर्तमान ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के कारण हैं।
  • भारत ने एनडीसी के प्रथम लक्ष्य के साथ वर्ष 2015 में यूएनएफसीसीसी को राष्ट्रीय तौर पर निर्धारित योगदान प्रेषित किए थे। एनडीसी का दूसरा उद्देश्य ‘‘आर्थिक विकास के अनुरूप स्तर पर अन्यों द्वारा अब तक अपनाए जाने वाले रास्ते के बजाय जलवायु अनुकूल और स्वच्छतर रास्ते अपनाना’’ है। इन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने पर्यावरण-अनुकूल जीवन शैली अपनाने के प्रति लोगों में शिक्षा/जागरूकता सृजित करने के लिए कई पहलें की हैं।
  • इस संबंध में राष्ट्रीय कार्यक्षेत्र में सरकार की कुछ महत्वपूर्ण पहलों में ‘राष्ट्रीय हरित कोर्पस’ (National Green Corps) शामिल हैं जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन सहित पर्यावरणीय संरक्षण और संधारणीय विकास की ओर कार्य कर रहे युवा बच्चों का एक संवर्ग तैयार करना है। पहल के एक भाग के रूप में, लगभग 160,000 ईको-क्लब पूरे देश में कार्य कर रहे हैं, जो इसे एक बड़ा पर्यावरणीय नेटवर्क बनाता है, जो बच्चों, और आम जनता को जोड़ते हुए संगत मुद्दों पर कार्यकलाप कराता है। सरकार ने एक ‘स्कूल नर्सरी योजना’ भी शुरू की है ताकि बच्चों को स्कूलों में नर्सरियों में नन्हें पौधों को लगाने और उनको विकसित करने में शामिल किया जा सके। इसके अलावा ‘ग्रीन गुड डीड’ अभियान (Green Good Deeds Campaign) एक सामाजिक आंदोलन है, जिसे पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण और संधारणीय जीवनशैली में संवर्द्धन के लिए प्रारंभ किया गया।