सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 में संशोधन

  • 24 Feb 2024

हाल ही में, केंद्र सरकार ने सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 में संशोधन किया है।

  • संशोधन के तहत यह अधिसूचित किया गया है कि अगर किसी विवाहित जोड़े में से एक साथी किसी चिकित्सीय स्थिति से पीड़ित है, तो दाता के अंडाणु या शुक्राणु का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जा सकती है।
  • संशोधित नियम के अनुसार, जिला मेडिकल बोर्ड को यह प्रमाणित करना होगा कि पति या पत्नी में से कोई एक चिकित्सीय स्थिति से पीड़ित है, जिसके लिए दाता युग्मक (Donor Gamete) के उपयोग की आवश्यकता है।
  • इसमें कहा गया है कि दाता युग्मक का उपयोग करने वाली सरोगेसी को इस शर्त के साथ अनुमति दी जाती है कि सरोगेसी के माध्यम से पैदा होने वाले बच्चे के पास इच्छुक जोड़े से कम से कम एक युग्मक होना चाहिए।
  • साथ ही, सरोगेसी से गुजरने वाली एकल महिलाओं (विधवा या तलाकशुदा) को सरोगेसी प्रक्रियाओं का लाभ उठाने के लिए स्वयं के अंडे और दाता शुक्राणु का उपयोग करना होगा।
  • सरोगेट, जिसे कभी-कभी गर्भकालीन वाहक (Gestational Carrier) भी कहा जाता है, वह महिला होती है, जो किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े (इच्छित माता-पिता) के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है।
  • सरोगेट माता जन्म के बाद बच्चे को उस व्यक्ति या जोड़े को देने के लिए सहमत होती है।

सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021

  • भारत में सरोगेसी को विनियमित करने के लिए 'सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021' को लाया गया था।
  • इसके अनुसार निम्न स्थितियों में सरोगेसी की अनुमति होगी:
    • उन इच्छुक जोड़ों के लिए जो सिद्ध रूप से बांझपन से पीड़ित हैं;
    • परोपकारी सेरोगेसी (Altruistic Surrogacy) की स्थिति में; या
    • विनियमों के माध्यम से निर्दिष्ट किसी अन्य स्थिति या बीमारी की स्थिति में।
  • सरोगेसी को निम्नलिखित स्थितियों में प्रतिबंधित किया गया है तथा इनके उल्लंघन पर 10 वर्ष तक के कारावास तथा 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
    • व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए; तथा
    • बिक्री, वेश्यावृत्ति या शोषण के अन्य रूपों के लिए।
  • अधिनियम में उपयुक्त प्राधिकारी से प्रमाण-पत्र प्राप्त करने हेतु सरोगेट मां के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं:
    • इच्छुक जोड़े की करीबी रिश्तेदार हो;
    • एक विवाहित महिला हो, जिसका अपना एक बच्चा हो;
    • 25 से 35 वर्ष की आयु हो;
    • पहले सरोगेट मां नहीं रही हों; और
    • उसके पास चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक फिटनेस का प्रमाण-पत्र हो।
  • अधिनियम में प्रावधान है कि, सरोगेसी क्लीनिक तब तक सरोगेसी या उससे संबंधित प्रक्रियाएं संपन्न नहीं कर सकते हैं, जब तक कि उन्हें उचित प्राधिकारी द्वारा पंजीकृत करके इसकी अनुमति प्रदान नहीं की जाती है।
  • अधिनियम केंद्र और राज्य सरकारों के लिए क्रमशः राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड (NSB) और राज्य सरोगेसी बोर्ड (SSB) के गठन का प्रावधान करता है।