भारत ने पिपरहवा अवशेषों की नीलामी रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई की
- 06 May 2025
5 मई 2025 कोभारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सोथबी हांगकांग द्वारा भगवान बुद्ध से जुड़े पिपरहवा अवशेषों की नीलामी रोकने के लिए त्वरित और व्यापक कदम उठाए। ये अवशेष 1898 में उत्तर प्रदेश के पिपरहवा स्तूप से खुदाई में मिले थे और ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
मुख्य तथ्य:
- अवशेषों का विवरण: पिपरहवा अवशेषों में हड्डियों के टुकड़े, सोप स्टोन और क्रिस्टल के कास्केट, बलुआ पत्थर का संदूक, स्वर्ण आभूषण और रत्न शामिल हैं, जिनकी खुदाई 1898 में विलियम क्लैक्सटन पेप्पे द्वारा की गई थी। ब्राह्मी लिपि में शिलालेख से इनका संबंध भगवान बुद्ध से प्रमाणित है।
- कानूनी स्थिति: ये अवशेष भारतीय कानून के तहत ‘AA’ पुरावशेष के रूप में वर्गीकृत हैं, जिनका निर्यात या बिक्री प्रतिबंधित है। अधिकांश अवशेष 1899 में भारतीय संग्रहालय, कोलकाता भेजे गए थे, जबकि कुछ हड्डी अवशेष सियाम के राजा को उपहार में दिए गए थे, और शेष पेप्पे परिवार के पास रहे, जिन्हें अब नीलामी के लिए सूचीबद्ध किया गया।
- सरकारी कार्रवाई: मंत्रालय ने सोथबी हांगकांग को कानूनी नोटिस जारी किया, जिसमें नीलामी तुरंत रोकने और अवशेषों को भारत लौटाने की मांग की गई। साथ ही, ब्रिटेन और हांगकांग के दूतावासों, ASI, और वित्तीय जांच इकाई को भी कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया।
- सोथबी की प्रतिक्रिया: भारतीय कानूनी नोटिस के बाद सोथबी ने आश्वासन दिया कि वह नीलामी रोकने और भारत सरकार के साथ सहयोग करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
- सोथबी हांगकांग (Sotheby's Hong Kong): यहएक अंतर्राष्ट्रीय नीलामी घर है, जो हांगकांग में स्थित है। यह अंतर्राष्ट्रीय ललित कला नीलामी उद्योग का एक प्रमुख खिलाड़ी है, जो अपनी ललित कला, कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं की नीलामी के लिए जाना जाता है।
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