उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी

  • 21 Aug 2021

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने दुश्मन के रडार खतरों से निपटने के लिए भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए एक ‘उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी’ (Advanced Chaff Technology) विकसित की है।

महत्वपूर्ण तथ्य: जोधपुर स्थित DRDO की रक्षा प्रयोगशाला ने वायुसेना की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए, DRDO की पुणे स्थित उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला के सहयोग से उन्नत चैफ सामग्री और चैफ कार्ट्रिज-118/I से इसको विकसित किया है।

  • भारतीय वायु सेना ने सफल उपयोगकर्ता परीक्षणों के पूरा होने के बाद इस तकनीक को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ।

चैफ प्रौद्योगिकी: आज के इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के दौर में आधुनिक रडार खतरों में वृद्धि लड़ाकू विमानों की उत्तरजीविता (survivability) के लिए प्रमुख चिंता का विषय है।

  • विमान की उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिए, ‘काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम’ (Counter Measure Dispensing System- CMDS) का उपयोग किया जाता है, जो इंफ्रा-रेड और रडार खतरों के खिलाफ निष्क्रिय जैमिंग (jamming) प्रदान करता है।
  • चैफ एक महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक है, जिसका उपयोग लड़ाकू विमानों को शत्रुतापूर्ण रडार खतरों से बचाने के लिए किया जाता है।
  • इस तकनीक का महत्व इसलिए है कि हवा में तैनात बहुत कम मात्रा में चैफ सामग्री लड़ाकू विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दुश्मन की मिसाइलों को अपने मार्ग से भटकाने के लिए प्रलोभन का काम करती है।