जीएम फसल अनुसंधान मानदंडों में ढील

  • 06 Jun 2022

भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने 20 मई, 2022 को आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों में अनुसंधान के लिए मानदंडों को आसान बनाने और फसलों की रूपरेखा (प्रोफाइल) को बदलने के लिए विदेशी जीन का उपयोग करने संबंधी चुनौतियों को दूर करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

आनुवंशिक रूप से संशोधित पादपों के सुरक्षा आकलन हेतु दिशा-निर्देश 2022: पौधे के जीनोम को संशोधित करने के लिए ‘जीन-संशोधन तकनीक’ (Gene-Editing Technology) का उपयोग करने वाले शोधकर्ताओं को ‘जेनेटिक इंजीनियरिंग आंकलन समिति’ (Genetic Engineering Appraisal Committee- GEAC) से अनुमोदन प्राप्त करने से छूट दी गई है।

  • GEAC जीएम पादप/फसलों में अनुसंधान का मूल्यांकन करता है और खेती के लिए इसकी सिफारिश करता है या इसे अस्वीकृत करता है।
  • हालांकि अंतिम निर्णय पर्यावरण मंत्री के साथ-साथ उन राज्यों द्वारा लिया जाता है, जहां ऐसे पादप/फसलों की खेती की जाती है।
  • पर्यावरण मंत्रालय ने भी इस छूट को मंजूरी दे दी है।

जीनोम संशोधन (Genome editing): इसमें उन तकनीकों का प्रयोग शामिल है, जिनके माध्यम से जीनोम में विशेष स्थानों पर आनुवंशिक सामग्री को प्रविष्ट कराया जाता है, हटाया या परिवर्तित किया जा सकता है।

  • जीनोम संशोधन के लिए कई पद्धति विकसित की गई हैं। इनमें प्रमुख है - 'क्रिस्पर-कैस9’ (CRISPR-Cas9), जो Clustered regularly interspaced short palindromic repeats and CRISPR-associated protein 9 का संक्षिप्त रूप है।