‘पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस’ के लिए 2025 का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार
- 07 Oct 2025
6 अक्टूबर, 2025 को चिकित्सा/फिज़ियोलॉजी के नोबेल पुरस्कार से जापान के शिमोन सकागुची, अमेरिका के मैरी ई. ब्रन्को और फ्रेडरिक राम्सडेल को सम्मानित किया गया। इन वैज्ञानिकों ने "पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस" की खोज की, जिससे हमारी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे ही शरीर पर हमला नहीं करती। इस खोज से ही प्रतिरक्षा आधारित ऑटोइम्यून व ट्रांसप्लांट चिकित्सा की नई उपचार दिशा खुली है।
मुख्य तथ्य:
- प्रमुख खोज: वैज्ञानिकों ने "रेग्युलेटरी T सेल्स" (T-regs) की खोज की, जो अन्य प्रतिरक्षा (T) कोशिकाओं को हमारे शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने से रोकती हैं।
- FOXP3 जीन: अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पाया कि FOXP3 नामक जीन इन T-reg सेल्स के विकास हेतु आवश्यक है; इस जीन में कमी से गंभीर ऑटोइम्यून बीमारियाँ हो जाती हैं जैसे IPEX सिंड्रोम।
- अंतर: पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि केवल थाइमस ग्रंथि के "सेंट्रल टॉलरेंस" प्रक्रिया से खराब T-सेल्स नष्ट होती हैं, लेकिन नोबेल विजेताओं ने यह भी साबित किया कि शरीर के अन्य हिस्सों (पेरिफेरी) में अलग किस्म के T-सेल्स लगातार रक्षा करते हैं।
- महत्व: इन T-reg सेल्स की विफलता से "ऑटोइम्यून" रोग (जैसे टाइप 1 डायबिटीज, रूमेटाइड अर्थराइटिस) होते हैं, वहीं कुछ कैंसर कोशिकाएँ इनकी रक्षा में छिप जाती हैं—इसलिए कैंसर इम्युनोथेरेपी में T-regs की गतिविधि बदलकर इलाज किया जा सकता है।
- क्लीनिकल संदर्भ: वर्तमान में T-reg आधारित उपचार ऑटोइम्यून रोग नियंत्रण, अंग प्रत्यारोपण की सफलता और कैंसर-जैसी बीमारियों की चिकित्सा के लिए प्रयोग में लाए जा रहे हैं।
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