तुलु भाषा के लिए राजभाषा के दर्जे की मांग

  • 18 Jun 2021

जून 2021 में मुख्य रूप से कर्नाटक और केरल में तुलु (Tulu) भाषी लोगों ने सरकार से इसे राजभाषा (official language) का दर्जा देने और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया है।

तुलु भाषा: तुलु एक द्रविड़ भाषा है, जो मुख्य रूप से कर्नाटक के दो तटीय जिलों दक्षिण कन्नड़ और उडुपी और केरल के कासरगोड जिले में बोली जाती है।

  • वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तुलु भाषी लोगों की संख्या 18,46,427 है।
  • रॉबर्ट काल्डवेल (1814-1891) ने अपनी पुस्तक, 'ए कम्पेरेटिव ग्रामर ऑफ द द्रविड़ियन या साउथ-इंडियन फैमिली ऑफ लैंग्वेजेज' में, तुलु को "द्रविड़ परिवार की सबसे विकसित भाषाओं में से एक" बताया है।
  • तुलु की एक 'समृद्ध मौखिक साहित्य परंपरा' है, जिसमें लोक-गीत 'पद्दाना' (paddana) और पारंपरिक लोक रंगमंच 'यक्षगान' शामिल हैं।

संविधान की आठवीं अनुसूची: आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 344(1) और 351 में हैं।

  • वर्तमान में, संविधान की आठवीं अनुसूची में, असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी सहित कुल 22 भाषाएँ शामिल हैं।

लाभ: आठवीं अनुसूची में शामिल होने पर तुलु को साहित्य अकादमी से मान्यता मिल जाएगी।

  • तुलु पुस्तकों का अन्य मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा सकेगा; संसद सदस्य और विधायक क्रमशः संसद और राज्य विधान सभाओं में तुलु बोल सकते हैं;
  • तथा उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा जैसी अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं में तुलु में परीक्षा दे सकते हैं।