भरितलासुकस तपनी

  • 30 Jun 2021

भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में संग्रहीत जीवाश्म नमूनों में से कुछ का अध्ययन करके, एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक मांसाहारी सरीसृप पर प्रकाश डाला है, जो 240 मिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में था। उन्होंने इसका नाम 'भरितलासुकस तपनी' (Bharitalasuchus tapani) रखा है।

महत्वपूर्ण तथ्य: 20वीं शताब्दी के मध्य में, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता के शोधकर्ताओं ने येरापल्ली संरचना की चट्टानों (वर्तमान तेलंगाना में) पर व्यापक अध्ययन किया था, जिसमें कई जीवाश्मों को अध्ययन किया गया था।

  • तेलुगु भाषा में, 'भरि' का अर्थ है विशाल, 'तला' का अर्थ है सिर और 'सुकस' मिस्र के मगरमच्छ के सिर वाले देवता का नाम है।
  • प्रजाति का नाम येरापल्ली संरचना के चार पैर वाले जीवों पर व्यापक कार्य के सम्मान में जीवाश्म विज्ञानी 'तपन रॉय चौधरी' के नाम पर रखा गया है।
  • यह सरीसृप 'एरिथ्रोसुकिडाइ' (Erythrosuchidae) नामक विलुप्त सरीसृपों के परिवार से संबंधित था।
  • भरितलासुकस तपनी बड़े सिर और बड़े दांतों वाले मजबूत जानवर थे, वे लगभग एक वयस्क नर शेर के आकार के थे और अपने पारिस्थितिक तंत्र में संभवत: सबसे बड़े परभक्षी (predators) थे।
  • 1905 में दक्षिण अफ्रीका में पहले एरिथ्रोसुकिडाइ अवशेष खोजे गए थे और उसके बाद चीन और रूस में पाए गए थे। दक्षिण अफ्रीकी अवशेष लगभग 245 मिलियन वर्ष पुराना है, जबकि चीन और रूस का अवशेष लगभग 240 मिलियन वर्ष पुराना है। एरिथ्रोसुकिडाइ का भारतीय अवशेष सबसे नवोदित जीवाश्म रिकॉर्ड (youngest fossil records) में से एक है।