भारत में निगरानी कानून

  • 26 Jul 2021

वैश्विक सहयोगी जांच परियोजना द्वारा खोज में पता चला है कि भारत में कम से कम 300 व्यक्तियों की लक्षित निगरानी के लिए इजराइली स्पाइवेयर (spyware) 'पेगासस' का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि सरकार ने दावा किया है कि भारत में सभी कॉल इंटरसेप्शन (interception) कानूनी रूप से होते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य: भारत में संचार निगरानी मुख्य रूप से दो कानूनों के तहत होती है - टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000।

  • टेलीग्राफ अधिनियम कॉल के अवरोधन (interception) से संबंधित है, वहीँ आईटी अधिनियम सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक संचार की निगरानी से निपटने के लिए अधिनियमित किया गया था।
  • टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 (2) के तहत, सरकार केवल कुछ स्थितियों में कॉल को इंटरसेप्ट कर सकती है - भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में, राज्य की सुरक्षा के हिट में, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था बनाने में, या किसी अपराध को करने के लिए उकसाने से रोकने के लिए।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: पब्लिक यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ (1996) वाद में, अदालत द्वारा अवरोधन के लिए जारी दिशा-निर्देशों में से एक समीक्षा समिति का गठन करना था, जो टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 (2) के तहत किए गए प्राधिकृति (authorisations) को देख सकती है।

  • सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों ने 2007 में टेलीग्राफ नियमों में और बाद में 2009 में आईटी अधिनियम के तहत निर्धारित नियमों में नियम 419A को पेश करने का आधार प्रस्तुत किया था।