लॉकडाउन के कारण अक्षय ऊर्जा प्रगति मंद

  • 12 Oct 2021

इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (Institute for Energy Economics and Financial Analysis: IEEFA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन ने देश में अक्षय ऊर्जा अधिष्ठापन को मंद कर दिया और इस तरह की अधिष्ठापन की गति भारत के 2022 के लक्ष्य से पीछे है।

महत्वपूर्ण तथ्य: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत ने 2022 तक 175 गीगावाट और 2030 तक 450 गीगावाट के अधिष्ठापन (installations) का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन वित्त वर्ष 2020-21 में ऐसी क्षमता का केवल 7 गीगावाट ही जोड़ा गया था।

  • बिजली के कारोबार में 2020 की तुलना में 20%, 2019 की तुलना में 37% और 2018 की तुलना में 30% की वृद्धि हुई। इससे 2020 की तुलना में कीमतों में औसतन 38%, 2019 की तुलना में 8% और 2018 की तुलना में 11% की वृद्धि हुई।
  • महामारी के बाद मांग के कारण पिछले कुछ महीनों में आयातित कोयले की कीमतें बढ़ रही हैं - विशेष रूप से चीन और भारत जैसे उभरते एशियाई बाजारों में।
  • कोयले के आयात पर अधिक निर्भरता से भारत में तापीय ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अंतिम उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में वृद्धि होगी।