रानी गाइदिन्ल्यू आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय

  • 27 Nov 2021

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 22 नवंबर, 2021 को मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में 'रानी गाइदिन्ल्यू आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय' (Rani Gaidinliu Tribal Freedom Fighters Museum) की आधारशिला रखी।

(Image Source: https://www.amritmahotsav.nic.in/)

महत्वपूर्ण तथ्य: एक आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता, रोंगमेई जनजाति की रानी गाइदिन्ल्यू का जन्म 26 जनवरी, 1915 को लुआंगकाओ गाँव में हुआ था, जो अब मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के ताओसेम उप-मंडल में है।

  • 13 साल की उम्र में, वह स्वतंत्रता सेनानी और धार्मिक नेता, हाइपौ जादोनांग के साथ जुड़ गईं, और उनके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन में उनकी लेफ्टिनेंट बन गईं।
  • जादोनांग, जो एक रोंगमेई भी थे, ने पैतृक नागा धर्म के आधार पर 'हेराका आंदोलन' शुरू किया और एक स्वतंत्र नागा साम्राज्य की कल्पना की।
  • जादोनांग की फांसी के बाद, उन्होंने आंदोलन का नेतृत्व संभाला, जो धीरे-धीरे धार्मिक से राजनीतिक हो गया। रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ एक गंभीर विद्रोह शुरू किया और अंततः उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उन्हें 1947 में रिहा किया गया था।
  • अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए, जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें "पहाड़ियों की बेटी" कहा और उन्हें "रानी" या क्वीन की उपाधि दी। 17 फरवरी, 1993 को उनके पैतृक गांव लुआंगकाओ में उनका निधन हो गया।
  • उन्हें 1982 में पद्म भूषण, 1983 में विवेकानंद सेवा सम्मान और 1991 में स्त्री शक्ति पुरस्कार सहित कई सम्मानों से सम्मानित किया गया था। उन्हें मरणोपरांत 1996 में भगवान बिरसा मुंडा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • भारतीय तटरक्षक बल ने 2016 में एक तेज गश्ती पोत "आईसीजीएस रानी गाइदिन्ल्यू" को कमीशन किया।