श्री पदमनाभस्‍वामी मन्दिर प्रशासन में त्रावणकोर राजशाही परिवार का अधिकार

  • 15 Jul 2020

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई, 2020 को केरल उच्च न्यायालय के वर्ष 2011 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें उसने तिरुवनंतपुरम में स्थित ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन और संपत्तियों के प्रशासन के लिए राज्य सरकार को एक ट्रस्ट गठित करने का निर्देश दिया था।

महत्वपूर्ण तथ्य: न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखते हुए कहा कि त्रावणकोर के आखिरी शासक की मौत से शाही परिवार की भक्ति और सेवा को उनसे नहीं छीना जा सकता।

  • अंतरिम उपाय के रूप में, तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश मंदिर के मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक प्रशासनिक समिति का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा नीतिगत मामलों पर प्रशासनिक समिति को सलाह देने के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक दूसरी समिति भी गठित की जाएगी।

पृष्ठभूमि: त्रावणकोर और कोचिन के शाही परिवार और भारत सरकार के बीच 1949 में अनुबंध के तहत तय हुआ था कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन 'त्रावणकोर के शासक' के पास रहेगा।

  • 1991 में त्रावणकोर के अंतिम शासक चिथिरा तिरुनाल बलराम वर्मा के निधन के बाद त्रावणकोर के आखिरी शासक के भाई उत्रादम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के नेतृत्व में प्रशासकीय समिति के पास मंदिर का प्रबंधन सौंपा गया, जिसके खिलाफ भक्तों ने याचिका दायर कर दी थी।

  • 18वीं शताब्दी में त्रावणकोर राजघराने द्वारा वर्तमान स्वरूप में इस विशाल मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था, जिसने 1947 में भारतीय संघ के साथ रियासत के एकीकरण से पहले दक्षिणी केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों पर शासन किया था।