सामयिक

पर्यावरण:

हिमाचल प्रदेश में कम हो रही बर्फबारी

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी राज्य में पिछले एक दशक में धीरे-धीरे कम बर्फ देखी जा रही है और बर्फ के नीचे का क्षेत्र भी कम हो रहा है।

महत्वपूर्ण तथ्य: पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील राज्य हिमाचल में नदी घाटियों के जल विज्ञान को नियंत्रित करने में एक प्रमुख इनपुट के रूप में मौसमी हिम आवरण के महत्व पर विचार करते हुए, जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्रवृत्ति ने पर्यावरणविदों को चिंतित कर दिया है।

  • उन्नत वाइड फील्ड सेंसर (AWiFS) उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज और स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार सतलुज, रावी, चिनाब और ब्यास सहित सभी प्रमुख नदी घाटियों में 2019-20 की तुलना में 2020-21 की शीतकालीन बर्फ के क्षेत्र में कुल मिलाकर 18.5% की कमी देखी गई।
  • अत्यधिक सर्दियों में बर्फबारी थोड़ी कम हो रही है, और यह सर्दियों के बाद के महीनों या गर्मियों के शुरुआती महीनों की ओर अधिक हो रही है।
  • यह घटना बढ़ते तापमान के कारण हुई है। तेजी से वनों की कटाई, व्यापक निर्माण और अनियमित गतिविधियां इसमें योगदान के प्रमुख कारक हैं।

भारतीय चिड़ियाघरों के लिए विजन प्लान 2021-2031

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 11 अक्टूबर, 2021 को 'भारतीय चिड़ियाघरों के लिए विजन प्लान 2021-2031' (Vision Plan 2021-2031 for Indian zoos) जारी किया है।

विजन प्लान का उद्देश्य: स्थानीय पक्षियों और जानवरों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय चिड़ियाघरों को वैश्विक मानकों पर अपग्रेड करना और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को मजबूत करना।

विजन प्लान 2021-2031: भारत दुनिया के भू-भाग का केवल 2.4% है, फिर भी यहाँ सभी दर्ज प्रजातियों का 7-8% हिस्सा है, जिसमें पौधों की 45,000 से अधिक प्रजातियां और जानवरों की 91,000 प्रजातियां शामिल हैं। इसलिए सतत विकास के लिए जैव विविधता को संरक्षित किया जाना चाहिए।

  • विजन प्लान का उद्देश्य भारत में बाह्य स्थाने संरक्षण (ex-situ conservation) दृष्टिकोण को एक दिशा देना है।
  • विजन प्लान में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और भारतीय चिड़ियाघरों के लिए परिवर्तन के 10 स्तंभों का भी उल्लेख है। इन स्तंभों में संकटग्रस्त देशी प्रजातियों के बाह्य स्थाने संरक्षण को मजबूत करना, पशु कल्याण को अनुकूलित करना, बचाए गए जानवरों का प्रबंधन आदि शामिल हैं।

अन्य तथ्य: केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी। प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, दस सदस्य और एक सदस्य सचिव शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ में भारत का सबसे नया टाइगर रिजर्व

5 अक्टूबर, 2021 को, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने छत्तीसगढ़ सरकार के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

महत्वपूर्ण तथ्य: नया रिजर्व मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा से लगे राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है।

  • उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती रिजर्व के बाद छत्तीसगढ़ में यह चौथा टाइगर रिजर्व होगा।
  • गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया जिले में है; तमोर पिंगला छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी कोने में सूरजपुर जिले में है।
  • गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान देश में एशियाई चीतों का अंतिम ज्ञात निवास स्थान था। राज्य गठन से पहले यह मूल रूप से संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा था।
  • गुरु घासीदास झारखंड और मध्य प्रदेश को जोड़ता है और बांधवगढ़ और पलामू टाइगर रिजर्व के बीच बाघों के आवागमन के लिए एक गलियारा प्रदान करता है। इस दृष्टि से इसे टाइगर रिजर्व घोषित करना महत्वपूर्ण है।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V(1) के तहत इस टाइगर रिजर्व को मंजूरी दी गई है।

महत्वपूर्ण हाथी कनेक्टिविटी क्षेत्रों की पहचान (

अक्टूबर 2021 में एक नए अध्ययन में महत्वपूर्ण हाथी कनेक्टिविटी क्षेत्रों की पहचान की गई है।

महत्वपूर्ण तथ्य: अध्ययन के अनुसार हाथी उच्च वनस्पति आवरण और कम मानव जनसंख्या घनत्व वाले वनों के आस-पास के क्षेत्रों को पसंद करते हैं।

  • पूर्वोत्तर-स्थित एनजीओ 'कंजर्वेशन इनिशिएटिव्स' की दिव्या वासुदेव और वरुण आर. गोस्वामी ने हाथियों के परिदृश्य में रहने वाले लोगों से डेटा एकत्र किया और नए विकसित मॉडल 'रैंडमाइज्ड शॉर्टेस्ट पाथ' (Randomised shortest path) का प्रयोग किया।
  • अध्ययन के अनुसार भविष्य में प्रजातियों के अस्तित्व के लिए कनेक्टिविटी महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से एशियाई हाथी जैसी प्रजातियों के लिए।
  • ज्ञात हो कि हाथी अपने भोजन और पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यापक रूप से, कभी-कभी सैकड़ों किलोमीटर के दायरे में पाये जाते हैं।
  • मानव गतिविधि और भूमि-उपयोग परिवर्तन ने वैश्विक स्तर पर जानवरों की आवाजाही को औसतन 50-67% तक सीमित कर दिया है।

'द स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज 2021: वॉटर'

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization: WMO) द्वारा 5 अक्टूबर, 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट 'द स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज 2021: वॉटर' (The State of Climate Services 2021: Water) के अनुसार, 2050 तक वैश्विक स्तर पर पांच अरब से अधिक लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य: रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में प्रति वर्ष कम से कम एक महीने में 3.6 बिलियन लोगों के पास पानी की पर्याप्त पहुंच नहीं थी। 2050 तक, यह बढ़कर पांच बिलियन (पांच अरब) से अधिक होने की संभावना है।

  • बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप वैश्विक और क्षेत्रीय वर्षा में परिवर्तन होने से वर्षा प्रतिरूप और कृषि सीजन में बदलाव आ रहा है, जिसका खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
  • पिछले 20 वर्षों में, स्थलीय जल भंडारण, जिसमें भूमि की सतह पर और उप-सतह पर मौजूद पानी, जिसमें मृदा नमी और बर्फ शामिल हैं, में प्रति वर्ष एक सेंटीमीटर की दर से गिरावट दर्ज की गई है।
  • वर्ष 2000 के बाद से बाढ़ से संबंधित आपदाओं में उससे पूर्व के दो दशकों की तुलना में 134% की वृद्धि दर्ज की गई है। बाढ़ से संबंधित अधिकांश मौतें और आर्थिक नुकसान एशिया में दर्ज किया गया था।

मीठे पानी की अंधी 'ईल' प्रजाति

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे, प्रकृतिवादी तेजस ठाकरे ने 30 सितंबर, 2021 को मुंबई के एक कुएं से 'जीनस रक्थमिच्थिस' (genus Rakthamichthys) से संबंधित अंधी 'ईल' (blind eel) की एक नई प्रजाति की खोज की घोषणा की।

(Image Source: The Instagram @tuthackeray)

महत्वपूर्ण तथ्य: यह महाराष्ट्र और उत्तरी पश्चिमी घाट इलाके में पाई गई पहली पूरी तरह से अंधी भूमिगत मीठे पानी की मछली प्रजाति है।

  • प्रजाति का नाम 'मुंबा' (mumba) रखा गया है, जो मुंबई शहर को दर्शाता है। 'मुंबा' शब्द मराठी भाषा से लिया गया है, जो इस शहर के निवासियों द्वारा पूजे जाने वाले देवता 'मुंबा आई' (Mumba Aai) को समर्पित है।
  • इस प्रजाति की खोज तेजस ठाकरे, प्रवीणराज जयसिम्हन, अनिल महापात्रा और अन्नाम पवन कुमार ने की।
  • यह अध्ययन 'एक्वा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इक्थायोलॉजी' (Aqua International Journal of Ichthyology) में प्रकाशित हुआ था।

मध्य एशियाई उड़ान मार्ग रेंज देशों की बैठक

मध्य एशियाई उड़ान मार्ग (Central Asian Flyway: CAF) में प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण कार्यों को मजबूती देने के संकल्प के साथ 6-7 अक्टूबर, 2021 को इसके 30 रेंज देशों की दो दिवसीय ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई।

महत्वपूर्ण तथ्य: मध्य एशियाई उड़ान मार्ग (CAF) आर्कटिक और हिंद महासागरों के बीच यूरेशिया के एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है।

  • भौगोलिक रूप से मध्य एशियाई उड़ान मार्ग क्षेत्र भारत समेत उत्तर, मध्य और दक्षिण एशिया और ट्रांस-काकेशस के 30 देशों को कवर करता है।
  • इसमें जलपक्षियों के कई महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश रूसी संघ (साइबेरिया) में सबसे उत्तरी प्रजनन स्थलों से लेकर पश्चिम और दक्षिण एशिया, मालदीव और हिंद महासागर क्षेत्र में दक्षिणी गैर-प्रजनन (शीतकालीन) स्थलों तक फैले हुए हैं।
  • प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (Convention on Migratory Species: CMS), जिसे बॉन कन्वेंशन (Bonn Convention) के रूप में भी जाना जाता है, संयुक्त राष्ट्र की एक पर्यावरणीय संधि है, जो स्थलीय, जलीय और उड़ने वाले प्रवासी प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करती है।

समुद्री खीरा

19 सितंबर, 2021 को तमिलनाडु के मंडपम में भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) की टीम ने तेजी से संचालित किए गए एक अभियान में दो टन समुद्री खीरा (Sea cucumber) जब्त किया, जो एक प्रतिबंधित समुद्री प्रजाति है।

(Source: Live Science)

महत्वपूर्ण तथ्य: समुद्री खीरे समुद्री अकशेरूकीय (marine invertebrates) हैं, जो समुद्र तल पर रहते हैं। उनका नाम उनके असामान्य आयताकार आकार के आधार पर रखा गया है, जो एक मोटे खीरे जैसा दिखता है।

  • समुद्री खीरे की लगभग 1,250 प्रजातियाँ हैं, जिनमें से सभी टैक्सोनोमिक क्लास (taxonomic class) होलोथुरोइडिया (Holothuroidea) से संबंधित हैं। यह वर्ग इकाइनोडर्मेटा संघ (Echinodermata phylum) के अंतर्गत आता है, जिसमें कई अन्य प्रसिद्ध समुद्री अकशेरूकीय भी शामिल हैं, जैसे कि समुद्री तारे, समुद्री अर्चिन (sea urchins) और सैंड डॉलर (sand dollars)।
  • समुद्री खीरे का आकार लगभग 1.9 सेंटीमीटर से लेकर 1.8 मीटर से अधिक तक होता है।
  • वे प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं क्योंकि समुद्री खीरे के मुख्य उप-उत्पादों में से एककैल्शियम कार्बोनेट है, जो कि प्रवाल भित्तियों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
  • समुद्री खीरा वाहित मल (sewage) का अंतर्ग्रहण करके समुद्री जल की पारदर्शिता बनाए रखता है। यह समुद्र को अम्लीकरण से भी बचाता है।
  • चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में समुद्री खीरे की अत्यधिक मांग है। मुख्य रूप से इसकी तस्करी रामनाथपुरम और तूतीकोरिन जिलों से मछली पकड़ने के जहाजों में तमिलनाडु से श्रीलंका तक की जाती है।
  • भारत में समुद्री खीरे को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-I के तहत सूचीबद्ध एक संकटग्रस्त (Endangered) प्रजाति के रूप में माना जाता है।

हम्बोल्ट पेंगुइन

सितंबर 2021 में मुंबई के भायखला चिड़ियाघर (Byculla Zoo) ने इस साल दो नए नन्हें हम्बोल्ट पेंगुइन (Humboldt penguin) को शामिल करने की घोषणा की।

(Image Source: Penguin World)

महत्वपूर्ण तथ्य:हम्बोल्ट पेंगुइन कम से कम 17 पेंगुइन प्रजातियों में से एक मध्यम आकार की प्रजाति है।

  • सबसे बड़ा, एम्परर पेंगुइन (Emperor penguin), 4 फीट से अधिक लंबा होता है, जबकि लिटिल पेंगुइन (Little penguin) की अधिकतम लंबाई 1 फीट होती है। हम्बोल्ट पेंगुइन की औसत लंबाइ सिर्फ 2 फीट तक है।
  • पेंगुइन छ: प्रजातियों में विभाजित हैं। हम्बोल्ट पेंगुइन (स्फेनिस्कस हम्बोल्टी) (Spheniscus humboldti) एक जीनस से संबंधित है, जिसे आमतौर पर 'बैंडेड' समूह (‘banded’ group) के रूप में जाना जाता है।
  • हम्बोल्ट पेंगुइन चिली और पेरू के प्रशांत तटों के लिए स्थानिक हैं।
  • इनका नाम हम्बोल्ट पेंगुइन इसलिए रखा गया है क्योंकि इनका आवास हम्बोल्ट धारा के पास स्थित है, जो ठंडे जल की विशेषता वाली एक महासागरीय जल धारा है।
  • हम्बोल्ट पेंगुइन की आंखों के चारों ओर बड़े पैच होते हैं, जो उन्हें ठंडा रखने में मदद करते हैं। गर्म जलवायु का सामना करने की क्षमता के कारण हम्बोल्ट सबसे लोकप्रिय चिड़ियाघर पेंगुइन में से एक है।

गिद्ध संरक्षण

भारत में पहली बार ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ (JCBC) से जंगल में छोड़े गए 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' ओरिएंटल सफेद पीठ वाले आठ गिद्ध लगभग एक साल बाद सितंबर 2021 में पक्षीशाला के बाहर आवास में अच्छी तरह से घुल-मिल गए हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य: ओरिएंटल सफेद पीठ वाले गिद्ध, जो अक्टूबर 2020 में, जंगल में छोड़े गए थे, प्रवासी पक्षी नहीं हैं, इसलिए वे बड़े पैमाने पर प्रजनन केंद्र के 50-100 किमी. के दायरे में रहते हैं।

  • इसके अलावा, वे हिमालयी ग्रिफॉन (Himalayan griffon) जैसे अन्य गिद्धों के साथ जंगली झुंड में शामिल होने में कामयाब रहे हैं, जो निश्चित रूप से उत्साहजनक है।
  • 1990 के दशक से गिद्धों की तीन प्रजातियों - ओरिएंटल सफेद पीठ वाले गिद्ध (white-backed vultures), लम्बी-चोंच वाले गिद्ध (Long-billed vultures) और पतली-चोंच वाले गिद्ध (Slender-billed vultures) की आबादी में 97% से अधिक की भारी गिरावट आई है।
  • 'जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र' हरियाणा के पिंजौर में हिमालय की तलहटी की शिवालिक पर्वतमाला में बीर शिकारगाह वन्यजीव अभयारण्य में स्थित है। इसकी स्थापना 2001 में भारत की गिद्धों की 3 ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ जिप्स प्रजातियों (Gyps species of vultures) में तेजी से गिरावट की जांच के लिए की गई थी।
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