सामयिक
पर्यावरण:
ईस्टर्न स्वैम्प डीयर की संख्या में कमी
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में अतिसंवेदनशील (vulnerable) ‘ईस्टर्न स्वैम्प डीयर’ (eastern swamp deer) की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। ईस्टर्न स्वैम्प डीयर दक्षिण एशिया में अन्य स्थानों पर विलुप्त हो चुके हैं।
(Image Source: https:// twitter.com/van_vihar)
महत्वपूर्ण तथ्य: वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में आई दो विनाशकारी बाढ़ के कारण इनकी आबादी घटकर 868 हो गई है, जो 2018 में 907 थी।
- हालांकि इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि ईस्टर्न स्वैम्प डीयर अब काजीरंगा के अलावा ओरंग नेशनल पार्क और लाओखोवा-बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्यों जैसे अन्य क्षेत्रों में भी चले गए हैं।
- भारतीय उपमहाद्वीप में दलदली हिरणों (स्वैम्प डीयर) की तीन उप-प्रजातियां पाई जाती हैं। वेस्टर्न स्वैम्प डीयर (Rucervus duvaucelii) नेपाल में पाया जाता है, साउदर्न स्वैम्प डीयर (Rucervus duvaucelii branderi) मध्य और उत्तर भारत में पाया जाता है और ईस्टर्न स्वैम्प डीयर (Rucervus duvaucelii ranjitsinhi) काजीरंगा और दुधवा राष्ट्रीय उद्यानों में पाया जाता है।
- स्वैम्प डीयर को आईयूसीएन में 'अतिसंवेदनशील' (vulnerable), CITES के परिशिष्ट I में और भारत के 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
भारत की सबसे बुजुर्ग स्लॉथ बीयर 'गुलाबो' की मृत्यु
'गुलाबो' नाम की भारत की सबसे बुजुर्ग मादा स्लॉथ बीयर (sloth bear) की 9-10 जनवरी, 2022 की रात भोपाल के ‘वन विहार राष्ट्रीय उद्यान और चिड़ियाघर’ में मौत हो गई। गुलाबो की उम्र 40 वर्ष थी।
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महत्वपूर्ण तथ्य: गुलाबो को मई 2006 में 25 साल की उम्र में एक मदारी (नुक्कड़ कलाकार) से बचाया गया था।
स्लॉथ बीयर: इसे वैज्ञानिक रूप से ‘मेलर्सस उर्सिनस’ (Melursus ursinus) के रूप में जाना जाता है।
- यह भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है और भारत, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में पाया जाताहै।
- इसका प्रमुख आहार फल, चींटियां और दीमक है।
- ये शुष्क उष्णकटिबंधीय जंगलों, सवाना, झाड़ी और घास के मैदानों सहित भारतीय मुख्य भूमि पर पर्यावास की एक विस्तृत शृंखला में पाये जाते हैं।
- IUCN द्वारा इसे 'अतिसंवेदंशील (Vulnerable) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- यह CITES के परिशिष्ट I में सूचीबद्ध है और भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत पूरी तरह से संरक्षित हैं।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान: यह भोपाल की प्रसिद्ध ‘ऊपरी झील’ के पास स्थित है, जिसे 'बड़ा तालाब' के रूप में भी जाना जाता है, जो एक रामसर स्थल है और भोज आर्द्रभूमि की दो झीलों में से एक है। यहाँ ‘स्लॉथ बीयर बचाव और प्रजनन केंद्र’ भी है।
- वन विहार को 1983 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। यह राष्ट्रीय उद्यान, एक चिड़ियाघर, जंगली जानवरों के लिए बचाव केंद्र और चयनित महत्वपूर्ण प्रजातियों के लिए संरक्षण प्रजनन केंद्र का अनूठा संयोजन है।
2021 के दौरान भारत की जलवायु पर वक्तव्य
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 14 जनवरी, 2022 को '2021 के दौरान भारत की जलवायु पर वक्तव्य' (Statement on Climate of India during 2021) जारी किया।
महत्वपूर्ण तथ्य: वर्ष 2021 भारत में 1901 के बाद से पांचवां सबसे गर्म वर्ष रहा, जिसमें देश का वार्षिक औसत वायु तापमान सामान्य से 0.44 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
- वर्ष 2021 के दौरान बाढ़, चक्रवाती तूफान, भारी बारिश, भूस्खलन, बिजली गिरने जैसी चरम मौसमी घटनाओं के कारण देश में 1,750 लोगों की मौत हुई।
- 1901 में राष्ट्रव्यापी रिकॉर्ड रखने की शुरुआत के बाद से वर्ष 2021 पांचवां सबसे गर्म वर्ष रहा। सर्दियों और मानसून के बाद के मौसम में गर्म तापमान (warm temperature) ने मुख्य रूप से इसमें योगदान किया है।
- 2016 में, देश में वार्षिक औसत वायु तापमान सामान्य से 0.71 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो 1901 के बाद से सबसे गर्म वर्ष रहा है।
- इसके बाद क्रमश: सबसे गर्म वर्ष 2009 (+0.55 डिग्री सेल्सियस), 2017 (+0.541 डिग्री सेल्सियस), 2010 (+0.539 डिग्री सेल्सियस) और 2021 (+0.44 डिग्री सेल्सियस) रहे।
- गरज और बिजली की घटनाओं से 2021 में भारत में 787 लोगों की मौत हुई, जबकि भारी बारिश और बाढ़ से संबंधित घटनाओं में 759 लोगों की मौत हुई है।
भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021
13 जनवरी, 2022 को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी द्विवार्षिक ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021’ (India State of Forest Report-2021) के अनुसार, 2019 में अंतिम आकलन के बाद से देश में वन और वृक्षों के आवरण में 2,261 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है।
- महत्वपूर्ण तथ्य: देश का कुल वन आवरण (forest cover) और वृक्ष आवरण (tree cover) 80.9 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62% है।
- 2021 में भारत का कुल वन आवरण (total forest cover) 713,789 वर्ग किमी है, जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है।
- 2019 में पिछली रिपोर्ट के बाद से वन आवरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्षों के आवरण में 721 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है।
- वन आवरण में सबसे ज्यादा वृद्धि 'खुले वनों' (open forest) में देखी गई है, उसके बाद यह बहुत घने वनों (very dense forest) में देखी गई है।
- वन क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी), तेलंगाना (632 वर्ग किमी) और ओडिशा (537 वर्ग किमी) हैं।
- 17 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों का 33% से अधिक क्षेत्र वन आच्छादित है। इनमें से पांच राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75% से अधिक वन क्षेत्र हैं।
- क्षेत्रफल के हिसाब से, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं।
- अपने कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53%), अरुणाचल प्रदेश (79.33%), मेघालय (76%), मणिपुर (74.34%) और नागालैंड (73.90%) हैं।
- देश में कुल मैंग्रोव क्षेत्र 17 वर्ग किमी बढ़कर 4,992 वर्ग किमी हो गया है।
- देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें 2019 से 79.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
आर्कटिक में बिजली गिरने की घटनाएं
तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण आर्कटिक में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य: फिनलैंड की पर्यावरण फर्म 'वैसाला' (Vaisala) के वैज्ञानिकों ने पाया कि 2021 में, ग्रह के उच्चतम अक्षांशों पर (उत्तरी ध्रुव में) पिछले वर्ष की तुलना में 91% अधिक आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं हुई हैं।
- उत्तरी ध्रुव में 2021 में 7,278 बिजली गिरने की घटनाएं हुई, जो की पिछले नौ वर्षों में हुई कुल घटनाओं का लगभग दोगुना है।
- आर्कटिक में आकाशीय बिजली ऐतिहासिक रूप से एक दुर्लभ घटना रही है, क्योंकि उन्हें ठंडी हवा, गर्म हवा और संवहनी अस्थिरता (convective instability) के मिश्रण की आवश्यकता होती है।
- वैज्ञानिकों ने पाया कि 2010 और 2020 के बीच बिजली गिरने की संख्या में वृद्धि वैश्विक तापमान विसंगतियों (global temperature anomalies) से संबंधित प्रतीत होती है।
- नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) की 2021 आर्कटिक रिपोर्ट के अनुसार 'अक्टूबर-दिसंबर 2020' वर्ष1900 के बाद से दर्ज की गई सबसे गर्म आर्कटिक शरद ऋतु थी।
रेड सैंडर्स फिर से आईयूसीएन की 'संकटग्रस्त' श्रेणी में
रेड सैंडर्स या रेड सैंडलवुड (Red Sanders) को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट में फिर से 'संकटग्रस्त' (Endangered) श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: रेड सैंडर्स या लाल चन्दन की इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम 'टेरोकार्पस सैंटालिनस' (Pterocarpus santalinus) है। यह एक भारतीय स्थानिक वृक्ष प्रजाति है, जिसकी पूर्वी घाट में एक सीमित भौगोलिक सीमा है।
- यह प्रजाति आंध्र प्रदेश के विशिष्ट वन क्षेत्रों के लिये स्थानिक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर, कडपा, नंध्याल, नेल्लोर, प्रकाशम जिलों में पाई जाती है।
- इसे वर्ष 2018 में 'संकटासन्न' (near threatened) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। नवीनतम आईयूसीएन आकलन के अनुसार पिछली तीन पीढ़ियों में, प्रजातियों ने 50-80 प्रतिशत की आबादी में गिरावट का अनुभव किया है। इसलिए फिर से इसे 'संकटग्रस्त' (Endangered) श्रेणी में शामिल किया गया है।
- यह मध्य दक्कन के कांटेदार झाड़ी/सूखे पर्णपाती वनों में, विशेषकर चट्टानी, पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है।
- रेड सैंडर्स अपने समृद्ध रंग और चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है। पूरे एशिया में, विशेष रूप से चीन और जापान में, सौंदर्य प्रसाधन और औषधीय उत्पादों के साथ-साथ फर्नीचर, लकड़ी के शिल्प और संगीत वाद्ययंत्र बनाने के लिए इसकी अत्यधिक मांग है।
- रेड सैंडर्स CITES के परिशिष्ट II के तहत सूचीबद्ध है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए प्रतिबंधित है।
चिल्का झील में लगभग 11 लाख पक्षियों का आगमन
भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ी खारे पानी की झील एवं पक्षियों के सर्दियों के प्रवास स्थल चिल्का झील में इस साल सर्दियों में लगभग 11 लाख पक्षी प्रवास पर आए हैं।
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महत्वपूर्ण तथ्य: चिल्का में किए गए जल पक्षी स्थिति सर्वेक्षण-2022 के अनुसार, पूरे लैगून में 107 जल पक्षी प्रजातियों के कुल 10,74,173 पक्षियों और 76 आर्द्रभूमि पर निर्भर प्रजातियों के 37,953 पक्षियों की गिनती की गई। पिछले साल चिल्का में यह संख्या 12 लाख से अधिक थी।
- पक्षी गणना में इस साल आए पक्षियों में दुर्लभ 'मंगोलियाई गुल' (Mongolian gull) भी शामिल हैं।
- 4 जनवरी, 2022 को ओडिशा राज्य वन्यजीव संगठन, चिल्का विकास प्राधिकरण और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से पक्षी गणना की गई।
- चिल्का झील के नलबाना अभयारण्य में अधिक से अधिक राजहंसों (फ्लेमिंगो) की संख्या में वृद्धि इंगित करती है कि नलबाना में इनकी बहाली प्रभावी है। इस साल राजहंसों की संख्या पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा थी।
- चिल्का झील एक खारे पानी की झील (brackish water lake) है और पूर्वी भारत में ओडिशा राज्य के पुरी, खुर्दा और गंजम जिलों में फैला एक उथला लैगून है।
- चिल्का का जल क्षेत्र ग्रीष्मकाल और मानसून के दौरान क्रमशः 900 वर्ग किमी से 1165 वर्ग किमी के बीच है।
भारत में चीता पुनर्वास के लिए कार्य योजना
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने 5 जनवरी, 2022 को 'भारत में चीता पुनर्वास के लिए कार्य योजना' (Action Plan for Introduction of Cheetah in India) का अनावरण किया।
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महत्वपूर्ण तथ्य: चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी है, जो 1952 में शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण भारत में विलुप्त हो गया था।
- कार्य योजना के तहत अगले पांच साल में 50 चीतों का भारत में पुनर्वास किया जाएगा।
- अब, भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट की मदद से, मंत्रालय पहले वर्ष के दौरान दक्षिण अफ्रीका / नामीबिया से लगभग 8-12 चीतों को लाएगा, जहां चीता की दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
- पहले चरण में इन्हें मध्य प्रदेश के कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में रखा जाएगा। पांच मध्य भारतीय राज्यों में सर्वेक्षण किए गए दस स्थलों में से, 748 वर्ग किलोमीटर कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान 'निवास स्थान' और 'पर्याप्त शिकार आधार' के मामले में चीता स्थानान्तरण के लिए सबसे उपयुक्त है।
- आईयूसीएन की खतरे वाली प्रजातियों की लाल सूची के तहत चीता को 'अतिसंवेदनशील' प्रजाति (vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। आबादी में गिरावट के बीच मुख्य रूप से अफ्रीकी सवाना में इनकी 7,000 से कम संख्या है।
टाइगर रिजर्व का जल स्रोत एटलस
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 5 जनवरी, 2021 को ‘टाइगर रिजर्व के जल स्रोत एटलस’ का विमोचन किया, जिसमें भारत के बाघ वाले क्षेत्रों के सभी जल निकायों का मानचित्रण किया गया है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: एटलस में शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी परिदृश्य, मध्य भारतीय परिदृश्य और पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट परिदृश्य, उत्तर पूर्वी पहाड़ियों और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान और सुंदरबन सहित कई क्षेत्रों में ऐसे निकायों की उपस्थिति के बारे में जानकारी है।
- एटलस को रिमोट-सेंसिंग डेटा और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) मैपिंग का उपयोग करके एक साथ रखा गया है।
- एटलस वन प्रबंधकों को उनकी भविष्य की संरक्षण रणनीतियों को आकार देने के लिए आधारभूत जानकारी प्रदान करेगा।
- टाइगर रिजर्व सिर्फ बाघों के लिए नहीं है बल्कि 35 से अधिक नदियाँ इन्हीं क्षेत्रों से निकलती हैं, जो जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पश्चिमी घाट में खोजी गई दो नई पौधों की प्रजातियां
जनवरी 2022 में एसएनएम कॉलेज मलियांकारा, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन और पय्यानूर कॉलेज ने तिरुवनंतपुरम और वायनाड जिलों में जैव विविधता संपन्न पश्चिमी घाट क्षेत्रों से दो नई पौधों की प्रजातियों 'फिम्ब्रिस्टिलिस सुनिलि' (Fimbristylis sunilii) और 'निनोटिस प्रभुई' (Neanotis prabhuii) की खोज की जानकारी दी है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: आईयूसीएन रेड लिस्ट के तहत इन दोनों पादप प्रजाति को 'आंकड़ों की कमी' (data deficient) के रूप में वर्गीकृत गया है।
फिम्ब्रिस्टिलिस सुनिलि: यह 'सायपेरेसी' (Cyperaceae) परिवार का एक बारहमासी पौधा है, जो लंबाई में 20-59 सेमी होता है।
- तिरुवनंतपुरम में पोनमुडी पहाड़ियों के घास के मैदानों से एकत्रित, फिम्ब्रिस्टाइलिस सुनिलि का नाम वनस्पति वर्गीकरण विज्ञानी एवं एसएनएम कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर 'सी.एन. सुनील' के नाम पर रखा गया है।
निनोटिस प्रभुई: यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है। इसका नाम सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक के.एम. प्रभुकुमार के नाम पर रखा गया है।
- वायनाड के चेम्बरा पीक घास के मैदानों में खोजा गया, यह पादप 'रुबियासी' (Rubiaceae) परिवार से है और अधिक ऊंचाई वाले घास के मैदानों पर उगता है।
- यह 70 सेमी लंबाई तक का पुष्पीय पादप है, जिसमें हल्के गुलाबी रंग की पंखुड़ियों वाले फूल खिलते हैं।