सामयिक

पर्यावरण:

हैदरपुर आर्द्रभूमि रामसर स्थल की सूची में

उत्तर प्रदेश में स्थित हैदरपुर आर्द्रभूमि को दिसंबर 2021 में अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि की 'रामसर स्थल' सूची में शामिल किया गया है। भारत में अब कुल 47 रामसर स्थल हो गए हैं।

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महत्वपूर्ण तथ्य: मानव निर्मित 'हैदरपुर आर्द्रभूमि' उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 6,908 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है।

  • मध्य गंगा बैराज पर गंगा नदी के बाढ़ के मैदान पर 1984 में निर्मित, यह आर्द्रभूमि 'हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य' की सीमाओं के भीतर स्थित है।
  • आर्द्रभूमि कई जानवरों और पौधों की प्रजातियों का निवास स्थान है। इसमें पौधों की 30 से अधिक प्रजातियां, पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियां, जिनमें 102 जलपक्षी, 40 से अधिक मछलियां और दस से अधिक स्तनपायी प्रजातियां शामिल हैं।
  • इसके अलावा, यह गंभीर रूप से संकटग्रस्त घड़ियाल, संकटग्रस्त हॉग डियर, ब्लैक-बेलिड टर्न (black-bellied tern), स्टेपी ईगल (steppe eagle), इंडियन स्किमर (Indian skimmer) और गोल्ड महाशीर जैसी वैश्विक रूप से संकटग्रस्त 15 से अधिक प्रजातियों का आवास स्थल भी है।

अन्य तथ्य: रामसर कन्वेंशन के अनुसार, आर्द्रभूमि वे भूमि क्षेत्र हैं, जो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से पानी से संतृप्त होते हैं। 'अंत:स्थलीय आर्द्रभूमि' (Inland wetlands) में दलदल, तालाब, झीलें, नदियाँ, बाढ़ के मैदान और अनूप (swamps) शामिल हैं। 'तटीय आर्द्रभूमि' में खारे पानी के दलदल, मुहाना, मैंग्रोव, लैगून और प्रवाल भित्तियाँ और 'मानव निर्मित आर्द्रभूमि' में मछली के तालाब, धान के खेत और साल्टपैन (saltpans) शामिल हैं।

जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक 2021

केंद्र सरकार द्वारा 20 दिसंबर, 2021 को जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक 2021 को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है।

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महत्वपूर्ण तथ्य: इस विधेयक को सदन में पेश किए जाने के बाद से ही पर्यावरणविदों द्वारा इस आधार पर आलोचना की गई है कि मसौदा विधेयक जैविक संसाधनों के संरक्षण के अधिनियम के प्रमुख उद्देश्य की कीमत पर बौद्धिक संपदा और वाणिज्यिक व्यापार को प्राथमिकता देता है।

विधेयक में प्रावधान: इसमें 2002 के अधिनियम में कुछ नियमों को शिथिल करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि अनुसंधान और पेटेंट को बढ़ावा दिया जा सके और साथ ही स्थानीय समुदायों को विशेष रूप से औषधीय गुणों वाले बीज जैसे संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम बनाया जा सके।

  • यह विधेयक पंजीकृत आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करने वाले लोगों को कुछ उद्देश्यों के लिए जैविक संसाधनों तक पहुँच हेतु राज्य जैव विविधता बोर्डों को पूर्व सूचना देने से छूट देने का प्रयास करता है।

अन्य तथ्य: 2021 के राइट लाइवलीहुड अवार्ड्स विजेता दिल्ली स्थित पर्यावरण संगठन ‘लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट’ (LIFE) ने कहा है कि वर्तमान स्वरूप में बिल 'बायोपायरेसी" (bio piracy) का मार्ग प्रशस्त करेगा।

  • जैविक विविधता अधिनियम, 2002 जैविक विविधता के संरक्षण और जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान के व्यावसायिक उपयोग से होने वाले मौद्रिक लाभों के उचित, समान बंटवारे के लिए अधिनियमित किया गया था।

वैश्विक ई-अपशिष्ट में स्मार्टफोन का योगदान 12%

वैश्विक शोध फर्म काउंटरपॉइंट (Counterpoint) की दिसंबर 2021 में जारी शोध रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक ई-अपशिष्ट में स्मार्टफोन का योगदान 12% है और यह तब तक बढ़ता रहेगा जब तक कि इसके समाधान के लिए उपाय नहीं किए जाते।

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महत्वपूर्ण तथ्य: अनुमान के अनुसार डिवाइस द्वारा होने वाले उत्सर्जन में स्मार्टफोन का उत्पादन अकेले 80-90% कार्बन उत्सर्जन का योगदान करता है।

  • एक मोबाइल फोन में 60 से अधिक विभिन्न धातुएं होती हैं, जिनमें दुर्लभ मृदा तत्व (rare earth metals) भी शामिल हैं, यदि ठीक से इनका निपटारा न किया जाए तो यह मिट्टी और पानी को दूषित कर सकती हैं ।
  • मोबाइल फोन की मांग ने इन धातुओं के लिए खनन गतिविधियों में वृद्धि की है, जो निष्कर्षण के चरण में ही पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
  • उच्च खपत ने उन्हें पहले से ही 'संकटग्रस्त धातुओं' के रूप में सूचीबद्ध किया है, क्योंकि वे सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं।
  • शोध फर्म ने अनुमान लगाया कि एक मोबाइल फोन बनाने के लिए लगभग 6-7 किलोग्राम उच्च श्रेणी के सोने के अयस्क का खनन किया जाता है।
  • अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और जापान के साथ भारत सबसे ज्यादा ई-अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले देश हैं।

ब्यास संरक्षण रिजर्व में घड़ियाल पुनर्स्थापन कार्यक्रम

पंजाब की नदियों में 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) (Gavialis Gangeticus) के सफलतापूर्वक पुनर्स्थापन (reintroduction) के बाद, यहाँ छोड़े गए घड़ियाल स्वस्थ पाये गए हैं और वे ब्यास संरक्षण रिजर्व को अपने आवास के रूप में अनुकूलित कर चुके हैं।

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महत्वपूर्ण तथ्य: किसी प्रजाति के पुनर्स्थापन का मतलब है कि इसे उस क्षेत्र में रखना, जहाँ यह जीवित रहने में सक्षम है।

  • राज्य की वन्यजीव संरक्षण शाखा के अनुसार वर्ष 2017 से, ब्यास संरक्षण रिजर्व में 94 घड़ियाल छोड़े गए हैं और इनमें से केवल दो ही मृत पाये गए हैं।
  • सर्वेक्षण के दौरान छोड़े गए घड़ियालों में से 40-50% स्वस्थ और ब्यास संरक्षण रिजर्व के लिए अनुकूलित पाये गए।
  • ब्यास संरक्षण रिजर्व में घड़ियाल पुनर्स्थापन पंजाब सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
  • 1960 के दशक तक ब्यास नदी में आमतौर पर घड़ियाल देखे जाते थे लेकिन बाद में वे विलुप्त हो गए।
  • घड़ियाल उत्तर भारतीय नदियों जैसे- गंगा, यमुना, चंबल और उनकी सहायक नदियों में पाया जाता है।
  • जैसे बाघ वनों में शीर्षस्थ शिकारी (topmost predators) होते हैं, वैसे ही घड़ियाल नदी में शीर्षस्थ शिकारी होते हैं। घड़ियाल नदी की खाद्य शृंखला को संतुलित करते हैं।

संरक्षण की स्थिति: आईयूसीएन- गंभीर रूप से संकटग्रस्त; CITES- परिशिष्ट I में सूचीबद्ध; तथा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में सूचीबद्ध।

तेईस वर्ष बाद बुक्सा टाइगर रिजर्व में बाघों की मौजूदगी

बाघ संरक्षण के लिए एक बड़ी सफलता में, 11 दिसंबर, 2021 को पश्चिम बंगाल के बुक्सा टाइगर रिजर्व में एक कैमरा ट्रैप में एक बाघ की तस्वीर खींची गई।

महत्वपूर्ण तथ्य: पिछली बार 1998 में उत्तरी बंगाल में स्थित इस रिजर्व में एक बाघ की मौजूदगी का निर्विवाद दावा किया गया था।

  • इस घटना से वन्यजीव विशेषज्ञ और प्रकृति प्रेमी उत्साहित हैं क्योंकि रिजर्व में बाघों की उपस्थिति पर कई सवाल उठाए गए थे।
  • यह इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा असम के काजीरंगा से बाघों को बुक्सा टाइगर रिजर्व में पुनर्स्थापन करने (reintroduction) की योजना थी। असम के काजीरंगा का परिदृश्य (landscape) बुक्सा टाइगर रिजर्व के ही समान है।
  • हालांकि कुछ साल पहले मध्य प्रदेश से ओडिशा के सतकोसिया में इसी तरह के स्थानांतरण से वांछित परिणाम नहीं मिले।
  • दक्षिण बंगाल के सुंदरबन में लगभग 98 बाघ हैं, जो बाघों के पर्यावास का दुनिया का एकमात्र मैंग्रोव वन है।

बुक्सा टाइगर रिजर्व: यह पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के अलीपुरद्वार उप-मंडल में स्थित है।

  • बुक्सा टाइगर रिजर्व को 1983 में भारत के 15वें टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया गया था। इसे जनवरी 1992 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
  • टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 760.87 वर्ग किमी है, जिसमें महत्वपूर्ण बाघ पर्यावास क्षेत्र 390.58 वर्ग किमी और बफर 370.29 वर्ग किमी है।

जलवायु परिवर्तन से बच्चे संक्रामक रोगों की चपेट में: अध्ययन (

हाल ही में एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट' (Science of the Total Environment) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के विभिन्न कारक कुल संक्रामक रोगों के 9-18% मामलों के लिये जिम्मेदार है।

महत्वपूर्ण तथ्य: शोधकर्ताओं के अनुसार तापमान, आर्द्रता, वर्षा, सौर विकिरण और हवा की गति जैसे जलवायु परिवर्तन के विभिन्न कारक बच्चों में संक्रामक रोगों जैसे- पेट व आंत संबंधित रोग, श्वसन रोग, वेक्टर-जनित रोग, और त्वचा रोग से महत्वपूर्ण रूप से जुड़े थे।

  • ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण (ज्यादातर सर्दी और फ्लू) और जठरांत्र संबंधी संक्रमण (मुख्य रूप से दस्त) का संक्रामक रोग के बोझ में 78% का योगदान है।
  • अधिकतम तापमान और आर्द्रता महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन चालक हैं।
  • सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और बाल मानवमिति (child anthropometry) ने जलवायु-रोग के संबंध को संशोधित किया, जिसमें बच्चे उच्च अनुपात में नाटेपन, वेस्टिंग (कद के अनुपात में कम वजन) और कम वजन की स्थिति से पीड़ित पाए गए।

ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव

10 दिसंबर, 2021 को 'ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव' (Global Methane Initiative: GMI) की एक संचालन नेतृत्व (Steering Leadership) बैठक वर्चुअल माध्यम में आयोजित की गई।

महत्वपूर्ण तथ्य: कोयला मंत्रालय में अपर सचिव वी.के. तिवारी को इस वैश्विक पहल के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

  • ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव एक स्वैच्छिक सरकारी तथा एक अनौपचारिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा सहित 45 देशों के सदस्य हैं।
  • विकसित तथा कमजोर अर्थव्यवस्थाओं वाले विकासशील देशों के बीच साझेदारी के माध्यम से मानवजनित मीथेन उत्सर्जन में वैश्विक कमी लाने के उद्देश्य से इस फोरम का गठन किया गया है।
  • ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव को 2004 में शुरू किया गया था। यह एक अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी पहल है, जो तीन क्षेत्रों में लागत प्रभावी, निकट-अवधि मीथेन कमी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में मीथेन के उपयोग को आगे बढ़ाती है: बायोगैस (कृषि, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, और अपशिष्ट जल सहित), कोयला खदानें, और तेल और गैस प्रणालियाँ।

अल्बाट्रॉस पक्षी

नवंबर 2021 में 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी' में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार अल्बाट्रॉस (Albatross) की आबादी के बीच दीर्घकालिक सम्बन्धों पर पर्यावरणीय परिस्थितियों का प्रभाव दिखाई दे रहा है।


(Image Source: https://ebird.org/)

महत्वपूर्ण तथ्य: पर्यावरणीय परिस्थितियां दक्षिण अटलांटिक में काले- भौं वाले अल्बाट्रॉस (black-browed albatrosses) के बीच रिश्तों में विभाजन का कारण बनती जा रही हैं।

  • शोधकर्ताओं के अनुसार संबंध-विच्छेद की शुरुआत प्रजनन विफलता के परिणामस्वरूप होती है।
  • शोधकर्ताओं ने दक्षिण अमेरिकी मुख्य भूमि से लगभग 483 कि.मी. दूर दक्षिण अटलांटिक में दूरस्थ द्वीपों के समूह 'फॉकलैंड द्वीप समूह' में काले- भौं वाले अल्बाट्रॉस आबादी के दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय डेटासेट का विश्लेषण किया।
  • अल्बाट्रॉस डायोमेडीडे (Diomedeidae) कुल के विशाल समुद्री पक्षी हैं। वे दक्षिणी महासागर और उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में व्यापक रूप से फैले हुए हैं।
  • IUCN द्वारा मान्यता प्राप्त अल्बाट्रॉस की 22 प्रजातियों में से, सभी को किसी न किसी स्तर पर चिंता के रूप में सूचीबद्ध किया गया है; तीन प्रजातियां 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' हैं, पांच प्रजातियां ‘संकटग्रस्त’ हैं, सात प्रजातियां ‘संकटासन्न’ (NT) हैं और सात प्रजातियां ‘अतिसंवेदंशील’ (vulnerable) हैं।

रिवर सिटीज एलायंस

25 नवंबर, 2021 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शहरी नदियों के सतत प्रबंधन के लिए विचारों, चर्चा और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भारत में नदी शहरों के लिए एक समर्पित मंच 'रिवर सिटीज एलायंस' (River Cities Alliance) का शुभारंभ किया।

(Image Source: PIB)

महत्वपूर्ण तथ्य: दुनिया में अपनी तरह का यह पहला गठबंधन दो मंत्रालयों यानी जल शक्ति मंत्रालय और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की सफल साझेदारी का प्रतीक है।

  • गठबंधन तीन व्यापक विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा- नेटवर्किंग, क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता।
  • रिवर सिटीज एलायंस में भाग लेने वाले शहर देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, पटना, बरहामपुर, हुगली-चिनसुराह, हावड़ा, जंगीपुर, महेशतला, राजमहल, साहिबगंज, अयोध्या, बिजनौर, फर्रुखाबाद, कानपुर, मथुरा-वृंदावन, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी, औरंगाबाद, चेन्नई, भुवनेश्वर, हैदराबाद, पुणे, उदयपुर और विजयवाड़ा हैं।
  • 'रिवर सिटीज एलायंस' का सचिवालय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के समर्थन से राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (NIUA) में स्थापित किया जाएगा।

कॉप-26 शिखर सम्मेलन: मीथेन उत्सर्जन में कटौती और वनों को बचाने का संकल्प

2 नवंबर, 2021 को ग्लासगो में कॉप-26 वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं ने दशक के अंत तक वनों की कटाई को रोकने और जलवायु परिवर्तन में मदद करने हेतु शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस 'मीथेन' के उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लिया।

मीथेन: लगभग 90 देश 2020 के स्तर से 2030 तक मीथेन के उत्सर्जन को 30% कम करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व वाले प्रयास में शामिल हो गए हैं।

  • कार्बन डाइ-ऑक्साइड की तुलना में मीथेन वायुमंडल में अधिक अल्पकालिक है लेकिन पृथ्वी को गर्म करने में 80 गुना अधिक शक्तिशाली है।
  • मीथेन गैस, जिसका पूर्व-औद्योगिक समय से ग्लोबल वार्मिंग में 30% योगदान है, के उत्सर्जन में कटौती जलवायु परिवर्तन को धीमा करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
  • चीन, रूस और भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया इस प्रतिज्ञा का समर्थन नहीं करेगा।

वन: विश्व संसाधन संस्थान की ‘ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट’ के अनुसार, 2020 में, दुनिया को 258,000 वर्ग किमी (100,000 वर्ग मील) का वन क्षेत्र का नुकसान हुआ है।

  • WWF के अनुमान के अनुसार हर मिनट में 27 फुटबॉल मैदान के बराबर वन क्षेत्र नष्ट हो रहे हैं।
  • 100 से अधिक देशों के नेताओं ने दशक के अंत तक वनों की कटाई और भूमि क्षरण को रोकने का संकल्प लिया।

अन्य तथ्य: ब्राजील ने 2030 तक अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 43% की पिछली प्रतिज्ञा की तुलना में 50% की कटौती करने के लिए एक नई प्रतिबद्धता की है।

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