जनजातीय उप-योजना के अंतर्गत वित्तीय व्यय योजना


प्रश्नः क्या आदिवासी उप-योजना के लिए वित्तीय व्यय की राज्य/क्षेत्र-वार कोई योजना बनाई गई है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

(कृष्णपाल सिंह यादव द्वारा 8 मार्च 2021 को लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)

जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता द्वारा दिया गया उत्तरः जनजातीय उप-योजना जिसे अब अनुसूचित जनजाति घटक (Scheduled Tribe Component - STC) कहा जाता है, जनजातीय विकास के लिए निधि का एक समर्पित स्रोत है। एसटीसी एक बहुआयामी कार्यनीति है जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल आपूर्ति, आजीविका इत्यादि के लिए सहायता शामिल है। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में अवसंरचना विकास का अधिकांश भाग और देश में जनजातीय लोगों के लिए मूलभूत सुविधाओं का प्रावधान संबंधित मंत्रलयों/विभागों और संबंधित राज्य सरकारों की विभिन्न स्कीमों/कार्यक्रमों के माध्यम से किया जाता है।

  • एसटीसी के तहत नीति आयोग केंद्रीय मंत्रलयों/विभागों द्वारा निधियों को निर्धारित करने के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करता है। इसके अलावा जनजातीय कार्य मंत्रालय, 40 केंद्रीय मंत्रालय/विभाग जनजातीय विकास के लिए प्रत्येक वर्ष उन्हें स्कीम के तहत कुल आवंटन का 4.3 से 17.5 प्रतिशत की रेंज में एसटीसी निधियां निर्धारित करने के लिए अधिदेशित किया गया है। अ.ज.जा. के कल्याण के लिए स्कीमों के तहत व्यय के लिए विशेष स्कीमों और योजनाओं के तहत केंद्रीय मंत्रालय/विभाग एसटीसी निधियां निर्धारित करते हैं।
  • जनजातीय कार्य मंत्रालय की ‘जनजातीय उप-स्कीम को विशेष केंद्रीय सहायता’(टीएसएस को एससीए) ‘संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान’, ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) का विकास’इत्यादि जैसी अधिकांश स्कीमों के लिए, मंत्रालय की परियोजना मूल्यांकन समिति से प्राप्त और स्वीकृत किए गए प्रस्तावों के आधार पर राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों को निधियां जारी की जाती हैं। अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत ‘स्वैच्छिक संगठनों को सहायता अनुदान स्कीम’के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रक्रिया/दिशा-निर्देशों के अनुसरण में संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन की बहु-विषयक राज्य स्तरीय समिति द्वारा विधिवत रूप से अनुशंसित परियोजनाओं की श्रेणियों के लिए पात्र गैर सरकारी संगठनों/स्वायत समितियों को अनुदान प्रदान किया जाता है।