उत्तराखंड में हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण

  • 01 Sep 2020

( 31 August, 2020, , www.pib.gov.in )


अगस्त 2020 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्लयूआईएचजी) के वैज्ञानिकों द्वारा उत्तराखंड में निचले हिमालयी क्षेत्र में मसूरी और उसके आसपास के 84 वर्ग किमी. क्षेत्र का अध्ययन किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य:जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस’ में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार इस क्षेत्र का 15% हिस्सा भूस्खलन के प्रति अतिसंवेदनशील है। जबकि 29% हिस्सा हल्के भूस्खलन और 56% हिस्सा कम से बहुत कम भूस्खलन वाले अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है।

  • भूस्खलन वाले अतिसंवेदनशील क्षेत्र का बड़ा हिस्सा भाटाघाट, जॉर्ज एवरेस्ट, केम्प्टी फॉल, खट्टापानी, लाइब्रेरी रोड, गलोगीधार और हाथीपांव जैसे बसावट वाले क्षेत्रों के अंतर्गत आता है, जो 60 डिग्री से अधिक ढलान वाले अत्यधिक खंडित क्रोल चूना पत्थर (Krol limestone) से आच्छादित हैं।
  • अध्ययन में भूस्खलन के विभिन्न संभावित कारकों में चट्टान संरचना (Lithology), लैंड यूज-लैंड कवर (एलयूएलसी), ढलान, वक्रता, ऊंचाई, सड़क-कटान आदि शामिल हैं।
  • भूस्खलन के कारणों के एक विशेष वर्ग का पता लगाने के लिए भूस्खलन घटना अनुकूलता स्कोर (Landslide Occurrence Favourability Score- LOFS) के आंकड़े एकत्र किए गए और जीआईएस प्लेटफॉर्म में भूस्खलन अतिसंवेदनशील सूचकांक (Landslide Susceptible Index-LSI) तैयार करने के लिए भूस्खलन के प्रत्येक कारक के प्रभावों की अलग-अलग गणना की गई।
  • LSI को प्राकृतिक मानकों के आधार पर पांच क्षेत्रों में पुनर्वर्गीकृत किया गया है।