वैक्सीन / टीका राष्ट्रवाद

  • 21 Aug 2020

  • हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अमीर देशों को आगाह करते हुए "वैक्सीन राष्ट्रवाद" के लेकर चेतावनी दी है, कि यदि वे टीके (वैक्सीन) का इस्तेमाल अपने लोगों के इलाज़ के लिए करते हैं और ग़रीब देश बीमारी की जद में हैं तो वे सुरक्षित रहने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
  • यह आशंका जताई जा रही है कि वैक्सीन को लेकर किये गए अग्रिम समझौतों के कारण शुरुआती टीके (वैक्सीन) लगभग अमीर देशों, जहाँ लगभग 8 अरब लोगों की आबादी रहती है, के अलावा पूरी दुनिया के लिएदुर्गम औरपहुँच से बाहर हो जाएंगे।

वैक्सीन राष्ट्रवाद

  • वैक्सीन राष्ट्रवाद तब होता है जब कोई देश अन्य देशोंसे पहले अपने नागरिकों या निवासियों के लिए वैक्सीन की ख़ुराक सुरक्षित कराता है।
  • यह किसी एक सरकार और किसी एक वैक्सीन निर्माता के बीच पूर्व ख़रीद समझौतों के माध्यम से किया जाता है।
  • उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जापान और यूरोपीय संघ ने Pfizer Inc, Johnson & Johnson और Astra Zeneca Plc जैसे वैक्सीन कंपनियों के साथ सौदों पर दसियों अरब डॉलर खर्च किए हैं।
  • अगर देश के लिहाज से देखा जाए तो अमेरिका पहले ही 6 ड्रग निर्माताओं से 800 मिलियन और यूके 5 ड्रग निर्माताओं 280 मिलियन डोज ख़रीदने के लिए तैयार हो गया है।

वैक्सीन राष्ट्रवाद का पिछला उदाहरण

एच 1 एन 1 फ्लू महामारी

  • कोविड -19 टीकों को लेकर वर्तमान दौड़ एक ऐसी ही स्थिति में वापस ले जाती है जो 2009 में H1N1 फ्लू महामारी के दौरान हुई थी।
  • ऑस्ट्रेलिया, सर्वप्रथम वैक्सीन बनाने वाला देश बना, इसने वैक्सीन के निर्यात को अवरुद्ध कर दिया।एक वैक्सीन निर्मित करने वाला पहला देश, निर्यात को अवरुद्ध कर दिया, जबकि कुछ सबसे धनी देशों ने कई दवा कंपनियों के साथ पूर्व-ख़रीद समझौतों किया था। इस समझौते के तहत अकेले अमेरिका को 600,000 ख़ुराक ख़रीदने का अधिकार प्राप्त था।
  • केवल 2009 में जब महामारी का प्रसार कम होने लगा और टीका लगाने की मांग कम होने लगी तो विकसित देशों ने गरीब देशों को वैक्सीन की ख़ुराक दान करने की पेशकश की।

वैक्सीन राष्ट्रवाद को रोकने के लिए कानून

  • दिलचस्प बात यह है कि भले ही वैक्सीन राष्ट्रवाद वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानूनों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं जो पूर्व-ख़रीद समझौतों को रोकते हों।

वैक्सीन राष्ट्रवाद द्वारा उत्पन्न समस्याएं

  • गरीब देशों पर बुरा प्रभाव: वैक्सीन राष्ट्रवाद का सबसे तात्कालिक प्रभाव यह है कि यह कम संसाधनों और सीमित शक्ति वाले देशों को और नुकसान पहुंचाता है।
  • स्वास्थ्य वस्तुओं तक ग़ैर-पहुंच: यह महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य वस्तुओं को आबादी तक तक समय पर पहुंचसे वंचित करता है।
  • धनवान देशों को प्राथमिकता देना: अपनी हद तक, यह सर्वप्रथम विकसित देशों, जहाँ कम ज़ेखिम वाली आबादी है, उसके बाद विकासशील देशों, जहाँ अत्यधिक ज़ेखिम वाली आबादी रहती है, को टीके (वैक्सीन) आवंटित करता है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रंखला को बाधित करना: यदि बड़ी संख्या में बीमारी के मामले वाले देश वैक्सीन प्राप्त करने में पिछड़ जाते हैं, तो बीमारी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करती रहेगी और परिणामस्वरूप, इससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी।
  • वैक्सीन विकास के मौलिक सिद्धांत के ख़िलाफ़: वैक्सीन का राष्ट्रवाद वैक्सीन विकास और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के मूल सिद्धांतों के ख़िलाफ़ चलता है। अधिकांश वैक्सीन विकास परियोजनाओं में कई देशों के कई दल शामिल होते हैं।

डब्ल्यूएचओ वैक्सीन राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ समाधान

  • वैक्सीन राष्ट्रवाद को ख़त्म करने का विकल्प वैश्विक सहयोग है।
  • सामान और व्यापक पहुंच के लिए WHO,महामारी संबंधी मुस्तैद नवाचार के लिए गठबंधन और गावी (Gavi), वैक्सीन संधि (The Vaccine Alliance) के माध्यम से एक विशेष पहल के साथ आये हैं जिसे "कोवाक्स फैसिलिटी (Covax Facility)" के रूप में जाना जाता है।
  • इस सुविधा का उद्देश्य मुख्य रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तैनाती और वितरण के लिए अगले साल के अंत तक कोविड -19 टीकों की कम से कम दो बिलियन खुराक की ख़रीद करना है।
  • इस पहल में शामिल होने वाले देशों को वैक्सीन के अनुसंधान में सफल होने के पश्चात, टीकों की आपूर्ति का आश्वासन देना होगा।
  • इसके अलावा, विभिन्न देशों को उनकी आबादी के कम से कम 20 प्रतिशत की आबादी की सुरक्षा के लिए वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

समय की मांग

  • राष्ट्रीयता वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य सिद्धांतों के साथ है। फिर भी, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में कोई प्रावधान नहीं हैं जो पूर्व वर्णित समझौतों को रोकते हैं जैसे ऊपर उद्धृत है। दवा उत्पादों के लेकर पूर्व-ख़रीद समझौते किये जा सकते हैं।
  • इसके अलावा, टीके आमतौर पर अन्य चिकित्सा उत्पादों की तरह बिक्री हेतु उत्पन्न नहीं किये जाते हैं। यदि सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो पूर्व-ख़रीद समझौते भी कंपनियों को वैक्सीन के निर्माण के लिए एक प्रोत्साहन हो सकते हैं, अन्यथा उनका व्यावसायीकरण नहीं किया जाएगा।
  • डब्ल्यूएचओ सहित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान टीकों के लिए समान पहुंच के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के लिए अगले महामारी से पहले बातचीत का समन्वय करना चाहिए।
  • भूगोल और भू-राजनीति के आगे बढ़कर दुनिया भर की आबादी के लिए टीकों की पहुंच और सामान अवसरों की पहुंच सुनिश्चित हो सके।
  • दुनिया को कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में क़दम बढ़ाने के लिए, रणनीतिक और वैश्विक रूप से परिमित आपूर्ति को साझा करके वैक्सीन राष्ट्रवाद को रोकने की ज़रूरत है।