जलवायु परिवर्तन पर निजी क्षेत्र की घोषणा

  • 06 Nov 2020

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में 5 नवंबर, 2020 को आयोजित जलवायु परिवर्तन विषय पर 'वर्चुअल भारत सीईओ फोरम' के दौरान उद्योग जगत की 24 अग्रणी हस्तियों द्वारा 'जलवायु परिवर्तन पर निजी क्षेत्र के घोषणा पत्र' पर हस्ताक्षर किए गए।

महत्वपूर्ण तथ्य: आयोजन में अनेक सीईओ और टाटा, रिलायंस, अडानी समूह, महिंद्रा, सन फार्मा, डॉ. रेड्डी आदि जैसे प्रमुख उद्योगों के प्रमुखों ने विभिन्न स्वच्छ प्रक्रियाओं और पहलों के बारे में चर्चा की।

  • निजी क्षेत्र ने ‘कम कार्बन वाली सतत अर्थव्यवस्था’ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही जलवायु परिवर्तन पर कई स्वैच्छिक प्रकियाओं को अपनाया है।
  • निजी क्षेत्र को क्योटो प्रोटोकॉल के ‘स्वच्छता विकास प्रणाली’ (Clean Development Mechanism) में भारत की भागीदारी का लाभ मिला है।
  • भारत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत पेरिस समझौते का एक हस्ताक्षरकर्ता है।
  • अपने राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (एनडीसी) के हिस्से के रूप में भारत में तीन मात्रात्मक जलवायु परिवर्तन लक्ष्य हैं ।
  1. 2005 के स्तर से 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता में 33 से 35% की कमी लाना;
  2. गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40% संचयी बिजली स्थापित करने की क्षमता को 2030 तक प्राप्त करना;
  3. 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर का अतिरिक्त कार्बन सिंक तैयार करना।