गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025

  • 28 Nov 2020

पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा 16 नवंबर, 2020 को 'गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025' जारी की गई।

उद्देश्य: पशु चिकित्सा संबंधी NSAIDs (Nonsteroidal Anti-inflammatory Drug) की बिक्री का विनियमन करने के साथ ही यह सुनिश्चित करना, कि पशुधन का इलाज केवल योग्य पशु चिकित्सकों द्वारा किया जाए।

महत्वपूर्ण तथ्य: पशु चिकित्सा संबंधी NSAIDs को गिद्धों के प्रमुख भोजन के लिए विषाक्त माना जाता है।

  • दर्द निवारक दवा डाइक्लोफेनाक, जो मवेशियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है और गिद्धों की आबादी में गिरावट से जुड़ी है, पर 2006 में प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • कार्य योजना ने देश में अतिरिक्त संरक्षण केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। वर्तमान में, देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे आठ केंद्र हैं। इन केंद्रों का मुख्य फोकस गिद्धों का प्रजनन है, वे गिद्ध संरक्षण केंद्रों के रूप में भी काम करते हैं।
  • 'लाल सिर वाले गिद्ध' (red-headed vulture) और 'मिस्र के गिद्ध' (Egyptian vulture) के लिए एक संरक्षण-प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, क्योंकि इनकी संख्या में पिछले कुछ वर्षों में 80% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है।
  • शेष गिद्ध आबादी के संरक्षण के लिए हर राज्य में कम से कम एक ‘गिद्ध सुरक्षित क्षेत्र’ (Vulture Safe Zone) स्थापित किया जाएगा।
  • विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिए चार बचाव (rescue centres) केंद्र प्रस्तावित किए गए हैं: उत्तर में पिंजौर, मध्य भारत में भोपाल, पूर्वोत्तर में गुवाहाटी तथा दक्षिण भारत में हैदराबाद।