गर्भवती महिलाओं से संबंधित स्थायी समिति रिपोर्ट

  • 13 Feb 2021

12 फरवरी, 2021 को लोक सभा में प्रस्तुत 'महिला स्वास्थ्य सेवा: नीति विकल्प' (Women’s Healthcare: Policy Options) विषय पर स्थायी समिति की रिपोर्ट में गर्भवती महिलाओं को निकटतम प्रसव केंद्रों तक सुलभ परिवहन की अनुपलब्धता को उजागर किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: दुर्गम भौगोलिक इलाकों में परिवहन सुविधाओं की कमी, प्राकृतिक आपदा, देश के कुछ हिस्सों में विद्रोहियों से सुरक्षा के खतरे, कर्फ्यू, हड़ताल के साथ-साथ कई अन्य अप्रत्याशित परिस्थितियाँ गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हैं।

समिति की सिफारिशें: सरकार प्रसव केंद्रों के पास 'प्री-डिलीवरी केंद्र' (Pre-delivery hubs) के निर्माण के लिए राज्यों / केंद्र-शासित प्रदेशों के साथ चर्चा शुरू करे, ताकि ऐसी महिलाओं को डिलीवरी की संभावित तिथि से 7 से 10 दिन पहले इन केंद्रों में लाकर उचित आहार और चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा सके।

  • सरकार देश के निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में मातृत्व लाभ (संशोधन), अधिनियम 2017 के तहत भुगतानशुदा मातृत्व अवकाश की बढ़ी हुई अवधि, घर से काम करने और सभी कामकाजी माताओं के लिए शिशु-गृह या 'क्रेच' सुविधा के संबंध में उपयुक्त दिशा-निर्देश जारी करे।
  • आदिवासी समुदाय के बच्चों में कुपोषण समस्या के समाधान के लिए आदिवासी क्षेत्रों में निजी स्कूलों के साथ-साथ विद्यालयी शिक्षा से वंचित आदिवासी बच्चों को भी मध्याह्न भोजन योजना के तहत शामिल किया जाए।

अन्य तथ्य: स्वास्थ्य मंत्रालय ने सूचित किया है कि भारत सरकार ने 'प्री-डिलीवरी केंद्र' स्थापना हेतु परियोजना कार्यान्वयन योजना (पीआईपी) के लिए राज्यों / केंद्र- शासित प्रदेशों को धनराशि जारी करने का प्रावधान किया है।

  • वर्तमान में ऐसे 'प्री-डिलीवरी केंद्र' सात राज्यों - पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, गुजरात तथा आंध्र प्रदेश में स्थापित किए जा चुके हैं।