गैर अल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारियों से संबंधित दिशा-निर्देश

  • 27 Feb 2021

( 22 February, 2021, , www.pib.gov.in )


केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 22 फरवरी, 2021 को ‘गैर अल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारियों’ (एनएएफएलडी) (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease -NAFLD) को ‘कैंसर, मधुमेह, ह्रदय रोग और स्ट्रोक से बचाव और नियंत्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम’ (एनपीसीडीएस) से जोड़ने के प्रक्रियागत दिशा-निर्देश जारी किए।

महत्वपूर्ण तथ्य: NAFLD फैटी लिवर के अन्य कारणों जैसे कि नुकसानदेह शराब के सेवन, वायरल हैपेटाइटिस या चिकित्सागत कारण न होने के बाद भी लिवर में वसा (फैट) का असामान्य रूप से जमा होना है।

  • NAFLD यकृत की कई अन्य बीमारियों को जन्म देता है जैसे कि सामान्य गैर अल्कोहॉलिक फैटी लिवर (साधारण फैटी लिवर बीमारी) से लेकर ज्यादा गंभीर ‘गैर अल्कोहॉलिक स्टेटोहैपेटाइटिस’ (Non-Alcoholic Steatohepatitis-NASH), सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर भी।
  • पिछले दो दशकों के दौरान ‘गैर अल्कोहॉलिक स्टेटोहैपेटाइटिस’ (NASH) का दुनिया पर बोझ दोगुना हो गया है। 1990 में दुनिया भर में NASH में सिरोसिस के 40 लाख मामले आए जो कि 2017 में बढ़कर 94 लाख हो गए।
  • NAFLD भारत में लिवर की बीमारियों के प्रमुख कारण के रूप में सामने आ रहा है। भारत में सामान्य जनसंख्या में 9% से 32% NAFLD की व्याप्ति है। मोटापे से पीड़ित या अत्यधिक वजनी और जिनको मधुमेह है या मधुमेह-पूर्व की स्थिति है, ऐसे लोगों में यह अधिक है।
  • मौजूदा एनपीसीडीएस कार्यक्रम की रणनीतियों जैसे जीवनशैली में परिवर्तन, शीघ्र निदान और संबंद्ध गैर संक्रामक बीमारियों के प्रबंधन को, एनएएफएलडी से बचाव के लिए भी जोड़ा जा सकता है।