हाइड्रोजन सल्फाइड का पता लगाने हेतु इलेक्ट्रॉनिक नाक विकसित

  • 15 Apr 2021

वैज्ञानिकों ने बायोडिग्रेडेबल बहुलक (polymer) और एकलक (monomer) से लैस एक इलेक्ट्रॉनिक नाक विकसित किया है, जो दलदलों और सीवरों से उत्पन्न एक जहरीली, संक्षारक और ज्वलनशील गैस हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) का पता लगा सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य: हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थों के सूक्ष्मजीव अपघटन की वजह से उत्पन्न होने वाली एक प्राथमिक गैस है और सीवर एवं दलदली क्षेत्रों में इसके उत्सर्जन को आसानी से पहचाने जाने की जरूरत है।

  • इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस), बेंगलुरू (Centre for Nano and Soft Matter Sciences (CeNS), Bangalore), के वैज्ञानिकों ने हवा के अणुओं या ‘ओलफैक्ट्री रिसेप्टर न्यूरॉन’ (Olfactory Receptor Neuron- ORN) की पहचान के लिए जिम्मेदार न्यूरॉन का प्रतिरूपण करके एक असाधारण रूप से संवेदनशील और चयनात्मक H2S गैस आधारित सेंसर विकसित कियाहै।
  • इस निर्मित सेंसर में दो परतों से युक्त एक विषम संरचना (heterostructure) होती है -- शीर्ष परत एकलक होती है और जिसमें एक नवीन रासायनिक ट्रिस (कीटो-हाइड्राजोन) (keto-hydrazone), जोकि छिद्रयुक्त होता है और जिसमें H2S विशिष्ट कार्यात्मक समूह होते हैं और निचली परत सक्रिय चैनल परत होती है, जोकि चार्ज वाहकों की धारा और गतिशीलता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।