गोवा की नागरिक संहिता

  • 23 Apr 2021

अप्रैल 2021 में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने गोवा की ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code- UCC) की सराहना करते हुए इसका गंभीरता से अध्ययन करने का आग्रह किया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: गोवा की पुर्तगाली नागरिक संहिता, 1867, मूलतः पुर्तगालियों द्वारा बनाई गई एक विदेशी संहिता (alien code) है।

  • गोवा की ‘नागरिक संहिता’ के चार भाग हैं, जो ‘नागरिकों की धारण शक्ति’ (Civil Capacity), ‘अधिकारों का अधिग्रहण’, ‘संपत्ति का अधिकार’ और ‘अधिकारों और उपचारों का उल्लंघन’ (breach of rights and remedies) से संबंधित हैं।
  • इसकी शुरुआत, गॉड और पुर्तगाल के राजा डोम लुइस, और अल्गार्वे’ के नाम से होती है। गोवा, दमन और दीव प्रशासन अधिनियम, 1962 की धारा 5 (1) के तहत गोवा की ‘नागरिक संहिता’ को जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
  • संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार देश में एक ‘समान नागरिक संहिता’ (UCC) होनी चाहिए। इस अनुच्छेद के अनुसार, ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक ‘समान सिविल संहिता’ सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। इस प्रयास का उद्देश्य कमजोर समूहों के खिलाफ भेदभाव को दूर करना और विविध सांस्कृतिक प्रथाओं में सामंजस्य स्थापित करना होना चाहिए।
  • समान नागरिक संहिता को राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के रूप में शामिल किया गया है, जो उल्लंघन होने पर अदालतों द्वारा कानूनी रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं।