‘पायरासोल’ परियोजना

  • 15 May 2021

23 अप्रैल, 2021 को चेन्नई में, एकीकृत सौर ड्रायर और पायरोलिसिस पायलट (Integrated Solar Dryer and Pyrolysis pilot) संयंत्र की आधारशिला रखी गई, जो इंडो-जर्मन परियोजना ‘पायरासोल’ (Project Pyrasol) का हिस्सा है।

महत्वपूर्ण तथ्य: इसका शुभारंभ स्मार्ट शहरों के शहरी जैविक कचरे को बायोचार और ऊर्जा में बदलने के लिए किया गया है।

यह ‘पायरासोल’ परियोजना, इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (Indo-German Science & Technology Centre) द्वारा सीएसआईआर- केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (CLRI) को प्रदान की गई थी।

परियोजना अंततः भारतीय स्मार्ट शहरों के रेशेदार कार्बनिक अपशिष्ट ( Fibrous Organic Waste) और सीवेज कीचड़ (Sewage Sludge) के संयुक्त प्रसंस्करण के लिए प्रौद्योगिकी विकास के साथ-साथ ऊर्जा रिकवरी, कार्बन प्रच्छादन (carbon sequestration) और पर्यावरण सुधार से संबंधित स्वच्छ और अत्यधिक मूल्यवान बायोचार को बढ़ावा देगी।

‘पायरासोल’ परियोजना भारतीय स्मार्ट शहरों के साथ-साथ अन्य शहरी केंद्रों में एकीकृत और संवादात्मक दृष्टिकोण के साथ शहरी कचरे के संग्रह, उपचार और निपटान प्रणालियों के प्रबंधन और आयोजन पर केन्द्रित है।

इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर: इसकी स्थापना भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और जर्मन सरकार की फेडरल मिनस्ट्री ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा की गई थी।

इसका उद्देश्य भारत-जर्मन की अनुसंधान और प्रौद्योगिकी नेटवर्किंग का उपयोग करते हुए अनुप्रयुक्त अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास एवं उद्योग में भागीदारी की सुविधा प्रदान करने पर जोर देना है।

यह अपने प्रमुख कार्यक्रम ‘2+2 परियोजनाओं’ के माध्यम से, भारत और जर्मनी से अनुसंधान और अकादमिक संस्थानों एवं सार्वजनिक/निजी उद्योगों की क्षमता को समन्वित करके नवाचार केंद्रित अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को उत्प्रेरित करता है।