गधों की हलारी नस्ल

  • 24 Mar 2022

केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने 12 मार्च, 2022 को ‘सौराष्ट्र मालधारी सम्मेलन’ को संबोधित किया। इस सम्मेलन में पशुधन की संकटापन्न नस्लों, विशेष रूप से 'गधों की हलारी नस्ल' (Halari breed of Donkey) के संरक्षण पर विचार-विमर्श किया गया।


(Image Source: https:// https://nbagr.icar.gov.in/)

सम्मेलन का विषय: 'सौराष्ट्र में पशुपालन को प्रोत्साहन- संरक्षण एवं निर्वहन' (Fostering Pastoralism in Saurashtra- Conservation and its Sustenance)।

महत्वपूर्ण तथ्य: इस कार्यक्रम के दौरान पुरुषोत्तम रूपाला ने सहजीवन द्वारा संकलित एक पुस्तक 'पैस्टोरल ब्रीड्स ऑफ इंडिया' (Pastoral Breeds of India) का विमोचन किया।

हलारी नस्ल का गधा: यह अर्ध-शुष्क जलवायु वाले गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के 'जामनगर' और 'द्वारका' जिले का एक महत्वपूर्ण पशुधन है। ये गधे सफेद रंग के होते हैं।

  • 'भरवाड़' और 'रबारी' चरवाहा समुदाय इन गधों का उपयोग प्रवास के दौरान सामान ढोने वाले जानवर के रूप में करता है। आमतौर पर चरवाहा समुदाय की महिलाएं इस नस्ल के गधों की देखभाल करती हैं।
  • जामनगर क्षेत्र में कुम्भार (कुम्हार) समुदाय भी इस जानवर का उपयोग मिट्टी के बर्तन बनाने के काम से जुड़ी गतिविधियों में करता है।
  • वर्तमान में सौराष्ट्र के हलार क्षेत्र के इन गधों का अस्तित्व खतरे में है, इसलिए इनके संरक्षण की दिशा में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
  • 2015 में हलारी गधों और उनके रखवालों पर किए गए एक सर्वेक्षण में इस नस्ल के 1200 गधे पाये गए थे। 2021-22 में किए गए सर्वेक्षण में यह संख्या घटकर 439 गधों तक पहुंच गई।
  • प्रजनन के लिए हलारी नस्ल के नर गधों की अनुपलब्धता इनकी संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण है।