दुर्लभ तितली पामकिंग

  • 16 Apr 2022

अप्रैल 2022 में तमिलनाडु में पहली बार दुर्लभ तितली 'पामकिंग' (Rare butterfly Palmking) देखी गई।

(Image Source: https://www.the hindu.com/ & Photo Credit: Dinesh Kumar)

महत्वपूर्ण तथ्य: पामकिंग को पहली बार दक्षिण भारत में 1891 में ब्रिटिश वैज्ञानिक एच.एस.फर्ग्यूसन द्वारा रिकॉर्ड किया गया था।

  • एक सदी से भी अधिक समय के बाद, इसे 2007 में थेनमाला में सी. सुशांत द्वारा फिर से खोजा गया और एक साल बाद तितली शोधकर्ता जॉर्ज मैथ्यूज और उन्नीकृष्णन पी. ने पामकिंग के जीवन-चरणों का अध्ययन किया और पहली बार इसे फोटोग्राफिक रूप से प्रलेखित किया।
  • पामकिंग को वैज्ञानिक रूप से 'अमाथुसिया फिडिपस' (Amathusia phidippus) के नाम से जाना जाता है।
  • भूरे और गहरे रंग की पट्टियाँ इस तितली की विशेषता है तथा इसे एकांतप्रिय के रूप में वर्णित किया गया है, जो ज्यादातर छाया में आराम करती है।
  • पामकिंग को पहचानना आसान नहीं है क्योंकि लकड़ी की तरह इसका भूरा रंग आसानी से छलावरण (camouflage) करता है और यह शायद ही कभी अपने पंख फैलाता है।
  • पामकिंग 'निम्फैलिडे' (Nymphalidae) उप-परिवार से संबंधित है और यह ताड़, नारियल और कैलमस (calamus) किस्मों के पौधों से भोजन प्राप्त करती है।
  • मार्च 2022 में एक और दुर्लभ तितली प्रजाति 'स्पॉटेड रॉयल' को नीलगिरि में फिर से खोजा गया और एक सदी के बाद दर्ज किया गया। स्पॉटेड रॉयल को वैज्ञानिक रूप से 'तजुरिया मैक्युलाटा' (Tajuria maculata) के नाम से जाना जाता है।