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भारत-बांग्लादेश सीमा पर फ्लोटिंग सीमा चौकियां
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सुंदरबन के दुर्गम क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए 5 मई, 2022 को भारत-बांग्लादेश सीमा पर तीन फ्लोटिंग (तैरती हुई) सीमा चौकियों (Border Outposts: BOP) का उद्घाटन किया।
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महत्वपूर्ण तथ्य: केंद्रीय गृह मंत्री ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर हरिदासपुर सीमा चौकी (BOP) पर 'मैत्री संग्रहालय' की आधारशिला रखी और 'सीमा प्रहरी सम्मेलन' को संबोधित किया। इसके अलावा उन्होंने 'फ्लोटिंग बोट एम्बुलेंस' को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
- कोच्चि शिपयार्ड द्वारा तीन फ्लोटिंग सीमा चौकियों ‘सतलुज’, ‘कावेरी’ और ‘नर्मदा’ का निर्माण किया गया है। प्रत्येक BOP की लागत 38 करोड़ रुपए और वजन लगभग 53000 मीट्रिक टन है।
- इन BOP के अगले हिस्से को जवानों की सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ बनाया गया है, साथ ही खाने-पीने की भरपूर व्यवस्था की गई है।
- ये BOP एक महीने तक बिना ईंधन (पेट्रोल और डीजल) के डीजी सेट (डीजल जेनसेट) के साथ तैर सकते हैं।
- सुंदरबन, जिसका एक हिस्सा भारत और दूसरा बांग्लादेश में है, देश की सुरक्षा के लिए बहुत संवेदनशील क्षेत्र है।
- एक BOP के साथ 6 छोटी नावें होती हैं और इसमें घुसपैठ और तस्करी दोनों को रोकने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है।
मैत्री संग्रहालय: 1970 के दशक में जब पड़ोसी देश में मानवाधिकारों का हनन हुआ था, तब सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और भारतीय सेना ने क्षेत्र में मानवाधिकारों की रक्षा की और बांग्लादेश के सृजन में मदद की थी।
- इस उपलब्धि की एक चिरकालीन स्मृति के लिए यहां पर एक 'मैत्री संग्राहलय' की स्थापना की जा रही है।
राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति
6 मई, 2022 को 'राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति' (National Sagarmala Apex Committee: NASC) ने नई दिल्ली में 'सागरमाला कार्यक्रम' की प्रगति की समीक्षा की और विभिन्न एजेंडे पर विचार-विमर्श किया।
महत्वपूर्ण तथ्य: राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (NASC) पत्तन आधारित विकास-सागरमाला परियोजनाओं के लिए नीति निर्देश और मार्गदर्शन प्रदान करने वाली शीर्ष संस्था है और यह इसके कार्यान्वयन की समीक्षा करती है।
- NASC का गठन 13 मई, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा किया गया था।
- NASC की अध्यक्षता पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री करते हैं। वहीं हितधारक केंद्रीय मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री और समुद्र तटीय राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रशासक इसके सदस्य होते हैं।
- समीक्षा बैठक के दौरान जहाजरानी मंत्रालय ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं की संख्या बढ़ाकर 1537 कर दी है, जिनकी कुल अनुमानित लागत 6.5 लाख करोड़ रुपए है।
- नया सागरमाला कार्यक्रम एक नई पहल 'सागर तट समृद्धि योजना' के माध्यम से तटीय क्षेत्रों के समग्र विकास पर जोर देगा।
- सागरमाला कार्यक्रम के तहत 5.5 लाख करोड़ रुपए की 802 परियोजनाओं को 2035 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कुल 802 परियोजनाओं में से वर्तमान में 99,281 करोड़ रुपए की 202 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
सागरमाला: राष्ट्रीय कार्यक्रम सागरमाला का उद्देश्य भारत की 7,516.6 किमी लंबी तट रेखा और 14,500 किमी संभावित नौगम्य जलमार्ग की क्षमता का उपयोग करके देश में आर्थिक विकास को गति देना है।
- सागरमाला की घोषणा 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी और 25 मार्च, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इसे मंजूरी दी थी।
डब्ल्यू बोसॉन
हाल में अमेरिका में 'कोलाइडर डिटेक्टर एट फर्मिलैब' (Collider Detector at Fermilab) साझेदारी के शोधकर्ताओं ने 'डब्ल्यू बोसॉन' (W boson) के द्रव्यमान का सटीक मापन करने की घोषणा की है।
महत्वपूर्ण तथ्य: शोधकर्ताओं के अनुसार डब्ल्यू बोसॉन कण भौतिकी मानक मॉडल (standard model of Particle physics) के पूर्वानुमानों की तुलना में अधिक भारी है। इसलिए यह ‘मानक मॉडल’ द्वारा पेश किए गए विवरण की अपूर्णता को दर्शाता है।
कण भौतिकी मानक मॉडल: ब्रह्मांड के सबसे बुनियादी मूलभूत अंगों का वर्णन करने के लिए 'मानक मॉडल' वैज्ञानिकों का वर्तमान सर्वोत्तम सिद्धांत है।
- 'मानक मॉडल' यह बताता है कि कैसे 'क्वार्क' (जिनसे प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनते हैं) और ‘लेप्टान’ (जिसमें इलेक्ट्रॉन शामिल हैं) नामक कण सभी ‘ज्ञात पदार्थ’ (known matter) बनाते हैं।
- मानक मॉडल ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली चार मूलभूत शक्तियों में से केवल तीन- विद्युत चुंबकत्व, मजबूत बल (strong force) और कमजोर बल (weak force) की व्याख्या करता है। जबकि 'गुरुत्वाकर्षण' को पूरी तरह से छोड़ देता है। इसलिए मानक मॉडल को अधूरा माना जाता है। इसके अलावा मानक मॉडल में ‘डार्क मैटर कणों’ का विवरण शामिल नहीं है।
डब्ल्यू बोसॉन के बारे में: 1983 में खोजा गया, डब्ल्यू बोसॉन एक मूलभूत कण (fundamental particle) है।
- जेड बोसॉन (Z boson) के साथ, मिलकर यह कमजोर बल के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- डब्ल्यू बोसॉन, जो विद्युत आवेशित होता है, कणों की बनावट को बदल देता है।
- ‘डब्ल्यू बोसॉन’, प्रोटॉन को न्यूट्रॉन में तथा न्यूट्रॉन को प्रोटॉन में बदल देते है। ये कजोर बल के माध्यम से ‘परमाणु संलयन’ की क्रिया को शुरू कर देते हैं, जिससे ‘तारों’ में दहन-क्रिया शुरू हो जाती है।
- ‘फोटॉन’, जो कि द्रव्यमान रहित होते हैं, के विपरीत ‘डब्ल्यू बोसॉन’ काफी भारी होते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री की डेनमार्क यात्रा
यूरोपीय देशों की तीन दिवसीय अपनी यात्रा के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 मई, 2022 को डेनमार्क पहुंचे।
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महत्वपूर्ण तथ्य: भारत और डेनमार्क हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा और अपशिष्ट जल प्रबंधन पर फोकस के साथ हरित रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमत हुए।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिकसन ने विभिन्न क्षेत्रों में विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य, पत्तन, नौवहन, चक्रीय अर्थव्यवस्था और जल प्रबंधन के क्षेत्रों में हुई महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा की।
- दोनों देशों ने हरित नौवहन, पशुपालन और डेयरी, जल प्रबंधन, ऊर्जा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों को कवर करने वाले कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने वाराणसी में ‘स्वच्छ नदी जल को लेकर एक स्मार्ट प्रयोगशाला’ और और ‘स्मार्ट जल संसाधन प्रबंधन पर उत्कृष्टता केंद्र’ जैसी नई पहलों को शुरू करने के दोनों देशों के इरादे का स्वागत किया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 'हरित नौवहन पर उत्कृष्टता केंद्र' (Centre of Excellence on Green Shipping) की स्थापना पर आशय पत्र का भी स्वागत किया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 'इंडिया ग्रीन फाइनेंस इनिशिएटिव' (India Green Finance Initiative) के शुभारंभ का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य भारत में हरित विकास और रोजगार सृजन में तेजी लाने के उद्देश्य से भारत में हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण में योगदान करना है।
- भारत और डेनमार्क ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध के क्षेत्र में अपने निरंतर सहयोग की पुष्टि की है। भारत ने मिशन भागीदार के रूप में ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस सॉल्यूशंस’ (International Center for Antimicrobial Resistance Solutions: ICARS) में शामिल होने के डेनमार्क के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
राज्य स्तरीय न्यायिक अवसंरचना विकास प्राधिकरण
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 30 अप्रैल, 2022 को कहा कि देश के न्यायिक ढांचे को मजबूत करने के लिए ‘राज्य स्तर पर न्यायिक अवसंरचना विकास प्राधिकरण’ (State level Judicial Infrastructure Development Authority) का गठन किया जाएगा।
महत्वपूर्ण तथ्य: 30 अप्रैल को नई दिल्ली में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के दौरान इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है।
- राज्य स्तर पर मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों या उनके नामितों की भागीदारी से इस निकाय की स्थापना की जाएगी।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा है कि न्यायिक अवसंरचना की कमी न्याय देने में देरी के मुख्य कारणों में से एक है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित मामलों का निपटारा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाए किए जाएंगे।
- न्यायपालिका के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना को 9,000 करोड़ रुपए के बजटीय परिव्यय के साथ वर्ष 2025-26 तक विस्तारित किया गया है, जिसमें केंद्र की 5,307 करोड़ की हिस्सेदारी है।
- केंद्र सरकार राज्य सरकारों / केंद्र-शासित प्रदेशों को निर्धारित फंड साझेदारी प्रारूप में वित्तीय सहायता प्रदान करके जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए वर्ष 1993-94 से एक केंद्र प्रायोजित योजना का क्रियान्वयन कर रही है
'शोध चक्र' पहल
शोध कार्य में शोधार्थियों और पर्यवेक्षकों की मदद करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 10 मई, 2022 को सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (Information and Library Network: INFLIBNET) केंद्र के सहयोग से 'शोध चक्र' (Shodh Chakra) पहल का शुभारंभ किया है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: शोध चक्र ’प्लेटफॉर्म का उद्देश्य शोधार्थियों को आवश्यकता पड़ने पर शोध कार्य को जमा करने, व्यवस्थित करने, संग्रहीत करने और उद्धृत करने (cite) की सुविधा प्रदान करना है।
- 'शोध चक्र' को गांधीनगर स्थित सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र (INFLIBNET) ने विकसित किया है, जो यूजीसी का स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र है।
'शोध चक्र' प्लेटफॉर्म की विशेषताएं: शोधार्थियों के लिए संसाधन उपलब्ध कराना, गाइड और शोधार्थियों के बीच संवाद की सुविधा उपलब्ध कराना, शोध कार्य प्रगति पर नजर रखना, प्रशासनिक निगरानी गतिविधियाँ, और भारत में चल रहे शोध क्षेत्रों पर आँकड़े प्रदान करना।
- यह प्रणाली प्रोफाइल प्रबंधन, रिसर्च टूल्स (research tools) और अन्य सुविधाएं भी प्रदान करेगी।
- इस पर शोध सामग्री की समीक्षा करने से लेकर शोध पत्र (थीसिस) प्रस्तुत करने तक सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- शोधकर्ता आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से लॉगिन करके 'शोध चक्र' की सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी): इसका औपचारिक उद्घाटन 28 दिसंबर, 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा किया गया था।
- देश में विश्वविद्यालयी शिक्षा के मानकों का समन्वय करने, निर्धारण करने तथा रखरखाव करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को औपचारिक रूप से नवंबर 1956 में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से भारत सरकार के एक सांविधिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था।
- प्रो. एम. जगदीश कुमार यूजीसी के अध्यक्ष हैं।
फोर्ब्स ग्लोबल 2000 लिस्ट- 2022
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दुनिया भर की सार्वजनिक कंपनियों की वर्ष 2022 की 'फोर्ब्स ग्लोबल 2000 लिस्ट- 2022' (Forbes Global 2000 list- 2022) में शीर्ष भारतीय कम्पनी होने का गौरव हासिल किया है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: मई 2022 में जारी फोर्ब्स की नवीनतम ‘ग्लोबल 2000’ सूची में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड दो पायदान चढ़कर 53वें स्थान पर पहुंच गई है।
- 'फोर्ब्स ग्लोबल 2000' चार मानकों पर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों को रैंक करता है- बिक्री (sales), लाभ (profits), परिसंपत्ति (assets) और बाजार मूल्य (market value)।
- इस सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज शीर्ष भारतीय कंपनी है, इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक 105वें, एचडीएफसी बैंक 153वें और आईसीआईसीआई बैंक 204वें स्थान पर है।
- सूची में अन्य शीर्ष 10 भारतीय कंपनियों में सरकारी स्वामित्व वाली तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) 228वें, एचडीएफसी लिमिटेड 268वें, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन 357वें, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड (TCS) 384वें, टाटा स्टील नंबर 407वें और एक्सिस बैंक नंबर 431वें स्थान पर है।
विश्व की शीर्ष 5 कंपनियां: बर्कशायर हैथवे (यूएसए) फोर्ब्स ग्लोबल 2000 सूची में पहले स्थान पर है। इसके बाद चीन का औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक दूसरे स्थान, सऊदी अरब की सऊदी अरामको तीसरे स्थान, अमेरिका की जेपी मॉर्गन चेस चौथे स्थान और चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक पांचवें स्थान पर है।
- फोर्ब्स वर्ष 2003 से 'ग्लोबल 2000' सूची प्रकाशित कर रहा है।
लोकपाल को मिलेगा नया कार्यालय
भारत के लोकपाल का कार्यालय आखिरकार दक्षिण दिल्ली के नौरोजी नगर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में शुरुआत के लिए तैयार है।
महत्वपूर्ण तथ्य: लोकपाल के प्रशासनिक मंत्रालय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के अनुसार, 59,504 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैले, दो मंजिलों वाले कार्यालय को 254.88 करोड़ रुपए में खरीदा गया है।
- 19 मार्च, 2019 को, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को आठ अन्य सदस्यों के साथ भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया।
- लोक सेवकों की कुछ श्रेणियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए 2013 में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम पारित होने के पांच साल बाद यह नियुक्ति की गई थी।
- कोई भी व्यक्ति जो प्रधानमंत्री हो या प्रधानमंत्री रहा हो, या केंद्र सरकार में मंत्री, या संसद सदस्य के साथ ही केंद्र सरकार के ग्रुप ए, बी, सी और डी के अधिकारियों के खिलाफ लोकपाल भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर सकता है।
- लोकपाल ऐसे किसी भी बोर्ड या स्वायत्त निकाय के अध्यक्षों, सदस्यों, अधिकारियों और निदेशकों के खिलाफ शिकायतों की भी जांच कर सकता है, जो या तो संसद के किसी अधिनियम और किसी भी सोसाइटी या ट्रस्ट द्वारा स्थापित किए गए हों या जो 10 लाख रुपए से अधिक का विदेशी योगदान प्राप्त करता हो।
कुरील द्वीप विवाद
जापान की नई डिप्लोमैटिक ब्लूबुक ने कुरील द्वीप समूह को रूस के "अवैध कब्जे" के रूप में वर्णित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: इस विवादास्पद द्वीप समूह को जापान 'उत्तरी क्षेत्र' (Northern Territories) और रूस 'दक्षिण कुरील' (South Kurils) कहता है।
कुरील द्वीप समूह/उत्तरी क्षेत्र क्या हैं? ये चार द्वीपों का एक समूह है, जो जापान के सबसे उत्तरी प्रान्त, होकैडो (Hokkaido) के उत्तर में ओखोटस्क सागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है।
- रूस और जापान दोनों इन पर दावा करते हैं, हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से द्वीप रूसी नियंत्रण में हैं।
- द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में सोवियत संघ ने द्वीपों पर कब्जा कर लिया था और 1949 तक अपने जापानी निवासियों को निष्कासित कर दिया था। जापान का दावा है कि 19वीं सदी की शुरुआत से विवादित द्वीप जापान का हिस्सा रहे हैं।
विवाद के पीछे की वजह: जापान के अनुसार, द्वीपों पर जापान की संप्रभुता की पुष्टि 1904-05 के रूस-जापानी युद्ध (इसे जापान ने जीता था) के बाद 1905 की पोर्ट्समाउथ संधि, 1855 की शिमोडा संधि, कुरील द्वीप समूह के लिए सखालिन के आदान-प्रदान के लिए 1875 की संधि (सेंट पीटर्सबर्ग की संधि) से होती है
- दूसरी ओर, रूस याल्टा समझौते (1945) और पॉट्सडैम घोषणा (1945) को अपनी संप्रभुता के प्रमाण के रूप में दावा करता है और तर्क देता है कि 1951 की सैन फ्रांसिस्को संधि कानूनी सबूत है कि जापान ने द्वीपों पर रूसी संप्रभुता को स्वीकार किया था।
लद्दाख में जन्म के समय सर्वाधिक लिंगानुपात
3 मई, 2022 को केंद्र सरकार द्वारा जारी नागरिक पंजीकरण प्रणाली 2020 रिपोर्ट (Civil Registration System 2020) के आधार पर महत्वपूर्ण सांख्यिकी पर वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार लद्दाख ने 2020 में देश में जन्म के समय सबसे अधिक लिंगानुपात दर्ज किया है।
(Image Source: https://epaper.thehindu.com/)
महत्वपूर्ण तथ्य: नागरिक पंजीकरण प्रणाली 2020 रिपोर्ट 'भारत के महापंजीयक' (Registrar-General of India) द्वारा जारी की गई है।
- जन्म के समय उच्चतम लिंग अनुपात लद्दाख (1,104), अरुणाचल प्रदेश (1,011), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (984), त्रिपुरा (974) और केरल (969) में दर्ज किया गया।
- जन्म के समय लिंगानुपात प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या है।
- सबसे कम लिंगानुपात मणिपुर (880), उसके बाद दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव (898), गुजरात (909), हरियाणा (916) और मध्य प्रदेश (921) में दर्ज किया गया।
- लिंगानुपात पर महाराष्ट्र, सिक्किम, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से अपेक्षित जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई। उन्होंने 2019 में भी उक्त डेटा उपलब्ध नहीं कराया था।
- किसी भी राज्य या केंद्र-शासित प्रदेश ने जन्म के समय लिंगानुपात 880 से कम नहीं दर्ज किया है।
- 2019 में, जन्म के समय उच्चतम लिंगानुपात अरुणाचल प्रदेश (1,024) और सबसे कम लिंगानुपात गुजरात (901) में दर्ज किया गया था।
- नागरिक पंजीकरण प्रणाली 2020 रिपोर्ट के अनुसार 2020 में 1,43,379 शिशु मृत्यु दर्ज की गई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी केवल 23.4% थी, जबकि कुल पंजीकृत शिशु मृत्यु में शहरी क्षेत्रों की हिस्सेदारी 76.6% थी।