सामयिक
सामयिक खबरें :
नगरपालिका बांड पर सूचना डेटाबेस
20-21 जनवरी, 2023 को बाजार नियामक 'भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड' (SEBI) द्वारा नगरपालिका बांड और नगरपालिका वित्त पर एक आउटरीच कार्यक्रम (An Outreach Program On Municipal Bonds And Municipal Finance) आयोजित किया गया।
- इस कार्यक्रम में SEBI ने म्यूनिसिपल बॉन्ड्स पर एक सूचना डेटाबेस (Information Database on Municipal Bonds) लॉन्च किया।
महत्वपूर्ण बिंदु
- उपर्युक्त कार्यक्रम को बॉन्ड बाजारों (bond markets) को विकसित करने के प्रयासों के तहत आयोजित किया गया था।
- सूचना डेटाबेस: सूचना डेटाबेस में निम्नलिखित सूचनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला होती है:
- सांख्यिकी और नियम (Statistics and regulations),
- परिपत्र (Circulars),
- मार्गदर्शन नोट (Guidance note) और
- नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों के संबंध में सेबी द्वारा जारी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)।
म्यूनिसिपल बांड के संदर्भ में
- परिचय: म्यूनिसिपल बॉन्ड या मुनि बॉन्ड (Municipal bond or muni bond) भारत में नगर निगमों या संबद्ध निकायों द्वारा जारी किया गया एक ऋण साधन (Debt instrument) है।
- उपयोग: ये स्थानीय सरकारी निकाय इन बांडों के माध्यम से जुटाई गई धनराशि का उपयोग पुलों, स्कूलों, अस्पतालों के निर्माण, घरों को उचित सुविधाएं प्रदान करने आदि जैसी सामाजिक-आर्थिक विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण (Finance Projects For Socio-Economic Development) हेतु करते हैं।
- परिपक्वता अवधि और रिटर्न: इस तरह के बांड तीन साल की परिपक्वता अवधि (Maturity Period) के साथ जारी किए जाते हैं। नगर निगम इन बांडों पर प्राप्त राजस्व से रिटर्न प्रदान करते हैं।
म्यूनिसिपल बांड जारी करने से संबंधित सेबी के दिशानिर्देश
- SEBI द्वारा स्थानीय सरकारी निकायों (Local Government Bodies) को ऐसे स्रोतों से वित्त जुटाने में सक्षम बनाने के लिए वर्ष 2015 में नगरपालिका बांड जारी करने से संबंधित दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है।
- इस संशोधन के पश्चात, विभिन्न शहरों को 'कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन' (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation-AMRUT) तथा 'स्मार्ट सिटीज़ मिशन' (Smart Cities Mission) जैसी पहलों के तहत लाभ प्राप्त हुए हैं।
108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस
3-7 जनवरी, 2023 के मध्य महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय (RTMU) में 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (108th Indian Science Congress) का आयोजन किया गया।
- उद्घाटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
- मुख्य विषय-वस्तु (Theme): 'महिला सशक्तीकरण के साथ सतत् विकास के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी' (Science and Technology for Sustainable Development with Women Empowerment)
मुख्य बिंदु
- भविष्योन्मुखी प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर बल: सम्मेलन में भविष्योन्मुखी नवाचार प्रौद्योगिकियों विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI), ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality-AR) एवं वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality-VR) की आवश्यकता तथा महत्व पर विशेष बल दिया गया।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में लागत कम करने की आवश्यकता: सम्मेलन में विशेषज्ञों ने भारत में तेजी से बढ़ते अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व को उजागर करते हुए अंतरिक्ष यानों के प्रक्षेपण की लागत को कम करने के लिए उचित कदम उठाए जाने की वकालत की।
- अन्य क्षेत्र: क्वांटम कंप्यूटिंग तथा डेटा संग्रह एवं विश्लेषण के महत्व को स्वीकार करते हुए आधुनिक ज्ञान के साथ-साथ पारंपरिक ज्ञान को भी बढ़ावा देने की बात की गई।
भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस
- आरंभ: वर्ष 1914 (प्रथम अधिवेशन)
- आयोजक: भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस एसोसिएशन (ISCA)
- ISCA, केंद्र सरकार के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सहयोग से कार्यरत एक स्वतंत्र निकाय है।
- महत्त्व: प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों एवं प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों एवं शोधकर्त्ताओं के साथ-साथ कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विज्ञान शिक्षकों तथा छात्रों को एक समान मंच प्राप्त होता है।
- यह वैज्ञानिक मुद्दों तथा महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों एवं आम जनता के मध्य वार्तालाप का एक प्रमुख माध्यम है।
- अनुदान: केंद्र सरकार द्वारा भारतीय विज्ञान कांग्रेस के आयोजन हेतु वार्षिक रूप से अनुदान प्रदान किया जाता है।
डीपफेक का बढ़ता खतरा
7 जनवरी, 2023 को ताइवान की संसद ने डीपफेक पोर्नोग्राफी (Deep-fake Pornography) को नियंत्रित करने से संबंधित एक मसौदा क़ानून को मंजूरी प्रदान की।
- अपने गंभीरसामाजिक-आर्थिक प्रभावों के कारण पिछले कुछ वर्षों से डीपफेक लगातार चर्चा में बना हुआ है।
डीपफेक क्या है?
- परिचय: डीपफेक एक प्रकार का एआई-मैनिप्युलेटेड डिजिटल मीडिया (AI-Manipulated Digital Media) है, इसके अंतर्गत व्यक्तियों और संस्थानों को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके वीडियो, ऑडियो और छवियों को हेरफेर के साथ संपादित किया जाता है।
- संबंधित लाभ: शिक्षा, फिल्म निर्माण, आपराधिक फोरेंसिक गतिविधियों की पहचान, कलात्मक अभिव्यक्ति तथा पहुंच (Accessibility) स्थापित करने जैसे अनेक क्षेत्रों में एआई-जेनरेटेड सिंथेटिक मीडिया या डीपफेक (AI-Generated Synthetic Media or Deepfakes) के कुछ स्पष्ट लाभ भी हैं।
प्रभाव
- लोकतांत्रिक विश्वास में कमी करने में सहायक: किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने, झूठे सबूत गढ़ने (Fabricate Evidence), जनता को धोखा देने तथा नवीन प्रौद्योगिकियों (क्लाउड कंप्यूटिंग, एआई एल्गोरिदम तथा प्रचुर मात्रा में डेटा) के आधार पर लोकतांत्रिक संस्थानों में विश्वास को कम करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।
- पोर्नोग्राफी और महिला उत्पीड़न: विशेषज्ञों ने पाया है कि 96% डीपफेक, पोर्नोग्राफी के रूप में उपलब्ध हैं, जिन्हें केवल पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों पर ही 135 मिलियन से अधिक बार देखा गया है।
- डीपफेक पोर्नोग्राफी के माध्यम से विशेष रूप से महिलाओं को लक्षित किया जाता है। इसमें अश्लील एवं नकली तथ्यों के आधार पर महिलाओं को धमकी देना, उन्हें भय दिखाना तथा मनोवैज्ञानिक हानि पहुंचाने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
- अन्य प्रभाव: इसके कारण दुष्प्रचार तथा संबंधित अफवाहों (Disinformation and hoaxes) का प्रसार तेजी से होता है तथा वर्तमान समय में इसका उपयोग युद्ध की एक रणनीति के रूप में भी किया जा रहा है। यह सामाजिक कलह को बढ़ावा देने, ध्रुवीकरण करने तथा कुछ मामलों में चुनावी परिणामों को प्रभावित करने में भी सक्षम है।
डीपफेक का सामना करने के लिए विभिन्न देशों द्वारा किए गए प्रयास
- चीन: एक नई नीति का निर्माण किया गया है, जिसमें सेवा-प्रदाताओं तथा उपयोगकर्ताओं (Service Providers and Users) के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाया गया है कि उनके द्वारा ऐसा तकनीकी-पारिस्थितिक-तंत्र (Technological-Ecosystem) स्थापित किया जाए, जिससे तकनीकी आधार पर विकृत (Technologically Doctored) सामग्री की उत्पत्ति के स्रोत का पता लगाया जा सके।
- यूरोपीय संघ: यूरोपीय संघ ने वर्तमान में उपयोग किए जा रहे मानकों (Code of Practice) की एक अद्यतन नियम सूची (Rule Book) जारी की है; जिसमें गूगल, मेटा तथा ट्विटर सहित अन्य तकनीकी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर डीपफेक का मुकाबला करने के उपायों को अपनाना अनिवार्य बनाया गया है। गैर-अनुपालन (Non-Compliance) की स्थिति में इन कंपनियों को अपने वार्षिक वैश्विक कारोबार (Annual global turnover) के 6% तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका: डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की सहायता हेतु एक डीपफेक टास्क फोर्स एक्ट (Deepfake Task Force Act) का निर्माण किया गया है। डीपफेक टास्क फोर्स एक्ट के अंतर्गत वार्षिक आधार पर डीपफेक का अध्ययन करने का प्रावधान है।
- भारत: भारत में 'डीपफेक' संबंधी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कोई विशिष्ट कानूनी प्रावधान नहीं है। हालांकि, कॉपीराइट उल्लंघन, मानहानि और साइबर अपराधों (Copyright Violation, Defamation and Cybercrimes) के संदर्भ में कानून निर्मित किए गए हैं।
ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित ड्राफ्ट नियम
2 जनवरी, 2023 को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ऑनलाइन गेमिंग के लिये नियमों का मसौदा जारी किया।
- प्रस्तावित नियमों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम-2021 [Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules-2021] में संशोधन के रूप में पेश किया गया है।
नियमों के महत्वपूर्ण प्रावधान
- स्व-नियामक निकाय के तहत पंजीकरण: सभी ऑनलाइन खेलों (Games) को एक स्व-नियामक निकाय के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य होगा। साथ ही, केवल निकाय द्वारा स्वीकृत गेम्स को ही भारत में कानूनी रूप से संचालित करने की अनुमति प्राप्त होगी।
- स्व-नियामक निकाय की संख्या एक अथवा उससे अधिक हो सकती है। निकाय का संचालन विविध क्षेत्रों के 5 सदस्यों (ऑनलाइन गेमिंग, सार्वजनिक नीति, सूचना प्रौद्योगिकी, मनोविज्ञान और चिकित्सा से संबंधित) वाले एक निदेशक मंडल द्वारा किया जाएगा।
- फर्मों को निर्देश: ऑनलाइन गेमिंग फर्मों को अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए उपयोगकर्त्ताओं के KYC की जानकारी रखनी होगी। उन्हें पैसों की निकासी (Transparent Withdrawal) तथा वितरण को पारदर्शी बनाना होगा। नियमों के अनुसार, KYC के लिये उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करना होगा।
- सट्टेबाज़ी पर प्रतिबंध: ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को विभिन्न खेलों के परिणामों पर सट्टेबाज़ी की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- विवाद समाधान तंत्र: ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए 'सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2021' (IT Rule-2021) के तहत निर्धारित एक त्रि-स्तरीय विवाद समाधान तंत्र (Dispute resolution mechanism) का निर्माण किया जाएगा। इसके अंतर्गत शामिल होंगे:
- गेमिंग प्लेटफॉर्म के स्तर पर एक शिकायत निवारण प्रणाली,
- उद्योगों के स्व-नियामक निकाय, तथा
- सरकारी नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग
- वैश्विक भागीदारी: वैश्विक स्तर पर फैंटेसी स्पोर्ट्स (Fantasy sports) का सबसे बड़ा बाजार भारत में निर्मित हुआ है, यहां 200 से अधिक प्लेटफॉर्म पर 13 करोड़ से अधिक ऑनलाइन गेमिंग के उपयोगकर्ता हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में लगभग 40 से 45% गेमर्स महिलाएं हैं।
- वृद्धि दर: देश में इस उद्योग में वर्ष 2017-2020 के मध्य 38% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate-CAGR) दर्ज की गई, जबकि समान अवधि में चीन एवं अमेरिका में यह वृद्धि दर क्रमशः 8% तथा 10% थी।
- सरकारी अनुमानों के अनुसार भारतीय मोबाइल गेमिंग उद्योग का राजस्व वर्ष 2025 में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
- वर्गीकरण: ऑनलाइन गेमिंग को सामान्य रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- गेम ऑफ चांस अथवा जुआ (Game of chance or Gambling): इस प्रकार के खेल संयोग पर आधारित होते हैं तथा बिना किसी रणनीति के इन्हें खेला जा सकता है। इनके परिणाम अप्रत्याशित रहते हैं तथा एक व्यक्ति इन खेलों को पूर्व ज्ञान या समझ के बिना भी खेल सकता है। डाइस गेम, नंबर चुनना (Picking a number) आदि इसके प्रमुख उदाहरण है। इस प्रकार के खेल भारत में अवैध माने जाते हैं।
- गेम ऑफ स्किल अथवा गेमिंग (Game of skill or Gaming): इसके अंतर्गत उन सभी खेलों को शामिल किया जाता है जो किसी व्यक्ति द्वारा पूर्व ज्ञान अथवा खेल के अनुभव के आधार पर खेले जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति में विश्लेषणात्मक निर्णय लेने, तार्किक सोचएवं क्षमता आदि जैसे कौशलों की आवश्यकता होती है। इस तरह के खेलों को अधिकांश भारतीय राज्यों में कानूनी मान्यता प्राप्त है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
4 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाले 'राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission-NGHM) को मंजूरी दी।
- NGHM राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (NHM) का एक भाग है, जिसकी घोषणा वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2021-22 में की थी।
- इसे हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने तथा भारत को ईंधन का शुद्ध निर्यातक देश बनाने हेतु एक विशिष्ट कार्यक्रम के रूप में आरंभ किया गया है।
मिशन के संदर्भ में
- नोडल मंत्रालय: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय।
- उद्देश्य: भारत को हरित हाइड्रोजन के उपयोग, उत्पादन तथा निर्यात हेतु 'वैश्विक केंद्र' (Global Center) के रूप में विकसित करना।
- लक्ष्य: इसके लक्ष्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- देश में वर्ष 2030 तक लगभग 125 गीगावाट (GW) की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करना।
- प्रति वर्ष कम-से-कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास करना।
- समग्र रूप से लगभग 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करके देश में 6 लाख नौकरियों को सृजित करना।
- जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की शुद्ध कमी लाना तथा देश में वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 मीट्रिक टन की कमी करना।
मिशन के तहत उप योजनाएं
- हरित हाइड्रोजन संक्रमण कार्यक्रम हेतु रणनीतिक हस्तक्षेप (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition Programme-SIGHT): इसके माध्यम से इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू निर्माण को निधि प्रदान की जाएगी तथा हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।
- हरित हाइड्रोजन हब (Green Hydrogen Hub): हरित हाइड्रोजन के उत्पादन तथा उपयोग की व्यापक क्षमता वाले राज्यों एवं क्षेत्रों की पहचान करके उन्हें हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
- महत्व: इस मिशन से उद्योगों, परिवहन साधनों तथा ऊर्जा के अन्य क्षेत्रों में डीकार्बोनाइज़ेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।
- इससे आयातित जीवाश्म ईंधन एवं फीडस्टॉक पर निर्भरता कम करने में सहायता मिलेगी।
- घरेलू विनिर्माण क्षमता में वृद्धि करने, रोजगार की अतिरिक्त संभावनाएं उत्पन्न करने तथा नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देने में भी मदद मिल सकेगी।
हाइड्रोजन क्या है?
- परिचय: हाइड्रोजन एक रासायनिक तत्व है जिसे प्रतीक H और परमाणु संख्या 1 से निरूपित किया जाता है।
- विशेषताएं: यह अत्यंत ही हल्का रासायनिक पदार्थ है जो ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा (सभी सामान्य पदार्थों का लगभग 75%) में उपलब्ध है।
- यह तत्व रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, गैर-विषैला (Non-toxic) एवं अत्यधिक ज्वलनशील माना जाता है।
- हाइड्रोजन ईंधन (Hydrogen Fuel) शून्य-उत्सर्जन ईंधन है। इसे ईंधन सेल (Fuel Cells) अथवा आंतरिक दहन इंजनों (Internal Combustion Engines) में और अंतरिक्ष यान प्रणोदन (Spacecraft Propulsion) के लिए ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।
हाइड्रोजन का निष्कर्षण
- प्रकृति में हाइड्रोजन अन्य तत्वों के साथ संयोजन में उपलब्ध है। इसका उपयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में करने के लिए इसे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यौगिकों जैसे जल (दो हाइड्रोजन परमाणु तथा एक ऑक्सीजन परमाणु के संयोजन) से निष्कर्षित किया जाता है।
- जिन स्रोतों और प्रक्रियाओं से हाइड्रोजन प्राप्त होता है उन्हें विभिन्न रंगों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
- ब्राउन हाइड्रोजन (Brown Hydrogen): जब कोयले को उच्च दबाव की स्थिति में परिवर्तित (Transformed) किया जाता है तो इस प्रक्रिया में ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन होता है। इसमें निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस को वापस हवा में छोड़ दिया जाता है।
- ग्रे हाइड्रोजन (Grey Hydrogen): जब मीथेन को दहन करके प्राकृतिक गैस में परिवर्तित किया जाता है तो ग्रे हाइड्रोजन उत्पादित होती है। दहन की प्रक्रिया से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस को वापस हवा में छोड़ दिया जाता है।
- ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen): ब्लू हाइड्रोजन का उत्पादन भी प्राकृतिक गैस द्वारा किया जाता है, किंतु इसमें अंतिम उत्पाद के रूप में निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को संग्रहीत करके कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित किया जाता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen): इलेक्ट्रोलिसिस नामक एक विधि का उपयोग करके जल से ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है, इस प्रक्रिया का संचालन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे पवन अथवा सौर ऊर्जा द्वारा किया जाता है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना
18 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ‘केन-बेतवा लिंक परियोजना की संचालन समिति’ [Steering Committee of Ken-Betwa Link Project (SC-KBLP)] की तीसरी बैठक आयोजित की गई।
- जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य के प्रतिनिधियों और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों तथा नीति आयोग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
- केन और बेतवा नदी के बारे में: यह यमुना की सहायक नदियां हैं तथा इन नदियों का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में है। केन नदी उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में जबकि बेतवा नदी उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी में मिलती है। केन नदी पन्ना बाघ अभयारण्य से होकर गुजरती है।
परियोजना के बारे में
- मंजूरी: दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 44,605 करोड़ रुपये की कुल लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना (KBLP) को मंजूरी दी थी।
- उद्देश्य: नदियों को आपस में जोड़कर उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मध्य प्रदेश की केन नदी के अधिशेष जल को बेतवा नदी में हस्तांतरित करना।
- बांध एवं नहर: इस परियोजना में 77 मीटर लंबा और 2 किमी. चौड़ा दौधन बांध (Dhaudhan Dam) और 230 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण सम्मिलित है।
- परियोजना हेतु जल-प्राप्ति: परियोजना के अंतर्गत दोनों नदियों को जोड़ने वाला नहर, पन्ना टाइगर रिजर्व के भीतर केन नदी पर बनने वाले दौधन बांध (Daudhan Dam) से जल प्राप्त करेगा।
- कवरेज: यह नहर छतरपुर, टीकमगढ़ और झांसी जिलों से होकर गुजरेगा तथा इस परियोजना से हर साल 6.3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होने की उम्मीद है।
- वृहद पन्ना भू-भाग परिषद: परियोजना के तहत भू-भाग प्रबंधन योजना [Landscape Management Plan (LMP)] तथा पर्यावरण प्रबंधन योजना [Environment Management Plan (EMP)] के क्रियान्वयन के लिये एक ‘वृहद पन्ना भू-भाग परिषद’ (Greater Panna Landscape Council) का भी गठन किया जा रहा है।
राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना
- परिचय: राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना (NRLP) को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan) के रूप में भी जाना जाता है, जिसका उद्देश्य भारतीय नदियों को जलाशयों और नहरों के नेटवर्क के माध्यम से आपस में जोड़ना है।
- लक्ष्य: इसका मुख्य लक्ष्य जल अधिशेष बेसिन, जहां जल की मात्रा अधिक है, से जल की कमी वाले बेसिन में जल का हस्तांतरण करना है, ताकि बाढ़ और सूखे जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
- निर्माणः यह योजना अगस्त 1980 में तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय द्वारा तैयार की गयी थी।
- प्रबंधनः राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना को जल शक्ति मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (National Water Development Agency - NWDA) द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- घटकः परियोजना के दो घटकों प्रायद्वीपीय क्षेत्र और हिमालयी क्षेत्र के तहत भारत की 30 नदियों को जोड़ने का प्रस्ताव है, जिसमें हिमालयी नदी विकास घटक के तहत 14 नदियों एवं प्रायद्वीपीय नदी विकास घटक या दक्षिणी जल ग्रिड के तहत 16 नदियों की पहचान की है। केन बेतवा लिंक परियोजना इनमें से एक है।
विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक
16-20 जनवरी, 2023 के मध्य स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक आयोजित की गई।
वार्षिक बैठक के बारे में
- संस्करण: यह WEF की वार्षिक बैठक का 53वां संस्करण था।
- प्रतिभागी: बैठक में 130 देशों के 2,700 नेताओं ने भाग लिया जिसमें 52 देशों की सरकार के प्रमुख भी शामिल थे।
- थीम: 'खंडित विश्व में सहयोग' (Cooperation in a Fragmented World)।
आरंभ की गई नवीन पहलें
- गिविंग टू एम्प्लीफाई अर्थ एक्शन (Giving to Amplify Earth Action-GAEA): WEF द्वारा 45 से अधिक भागीदार देशों के समर्थन के साथ शुरू की गई यह एक वैश्विक पहल है।
- इसके माध्यम से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण की समस्या से निपटने हेतु प्रतिवर्ष आवश्यक 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- जलवायु पर वाणिज्य मंत्रियों का गठबंधन (Coalition of Trade Ministers on Climate): यह जलवायु, व्यापार एवं सतत् विकास पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिये 50 से अधिक देशों को एक साथ लाता है।
- वैश्विक सहयोग गांव (Global Collaboration Village): यह प्रथम उद्देश्य-पूर्ण तथा वैश्विक मेटावर्स प्लेटफॉर्म है जिसे WEF द्वारा एक्सेंचर और माइक्रोसॉफ्ट (Accenture and Microsoft) के सहयोग से लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नवीन वर्चुअल स्पेस (New Virtual Space) तैयार करना है।
सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट रिपोर्ट: द इंडिया स्टोरी
16 जनवरी, 2023 को ऑक्सफैम इंटरनेशनल (Oxfam International) द्वारा विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के प्रथम दिन भारत के संदर्भ में अपनी वार्षिक असमानता रिपोर्ट 'सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी' (Survival of the Richest Report: The India Story) जारी की गई।
महत्वपूर्ण बिंदु
- आर्थिक असमानता: रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे अमीर 1% आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास मौजूदा समय में देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा दौलत है।
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से नवंबर 2021 तक जहां अधिकतर भारतीयों को नौकरी संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा और सेविंग्स बचाने के लिए अधिक प्रयास करने पड़े, वहीं पिछले साल नवंबर तक भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 121% का इजाफा देखा गया।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष 10 सबसे धनी व्यक्तियों पर 5% अतिरिक्त कर लगाने से बच्चों को स्कूल में पुनः नामांकित (Re-enroll children in school) करने के लिये पर्याप्त धन प्राप्त हो सकता है।
- लैंगिक असमानता: पुरुष श्रमिकों द्वारा अर्जित प्रति 1 रुपए की तुलना में महिला श्रमिकों को केवल 63 पैसे मिलते हैं।
असमानता कम करने के लिये सुझाए गए उपाय
- अधिक से अधिक सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए विरासत, संपत्ति और भूमि करों के साथ-साथ शुद्ध संपत्ति पर भी करों को लागू किया जाना चाहिए।
- सरकार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में परिकल्पित वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य क्षेत्र के बजटीय आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% तक करना चाहिए।
- शिक्षा के लिये बजटीय आवंटन में सकल घरेलू उत्पाद के 6% के वैश्विक बेंचमार्क तक वृद्धि करनी चाहिए।
- रिपोर्ट में, अमीरों पर अतिरिक्त कर लगाने की व्यवस्था अपनाए जाने की वकालत की गई है। इसके लिए, एकमुश्त कर के कार्यान्वयन के साथ-साथ एक न्यूनतम कर दर का भी निर्धारण किया जाना चाहिए।
अमृत भारत स्टेशन योजना.
27 दिसंबर, 2022 को रेल मंत्रालय ने स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए एक नई नीति की घोषणा की, इसे ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ (Amrit Bharat Station Scheme) का नाम दिया गया है।
- विजन: अमृत भारत स्टेशन योजना में दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना की गई है।
- क्रियान्वयन का आधार: यह स्टेशन की आवश्यकताओं और संरक्षण के अनुसार दीर्घकालिक मास्टर प्लान तैयार करने और मास्टर प्लान के तत्वों के कार्यान्वयन पर आधारित है।
प्रमुख उद्देश्य
- रेलवे स्टेशनों के लिए मास्टर प्लान तैयार करना तथा न्यूनतम आवश्यक सुविधाओं [Minimum Essential Amenities (MEA)] सहित अन्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न चरणों में मास्टर प्लान का कार्यान्वयन करना;
- लंबी अवधि के समय में स्टेशन पर रूफ प्लाजा (Roof Plazas) और शहर केंद्रों (City Centres) का निर्माण करना;
- निधियों की उपलब्धता और परस्पर प्राथमिकता के आधार पर जहां तक संभव हो, हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करना;
- नई सुविधाओं की शुरुआत के साथ-साथ मौजूदा सुविधाओं का उन्नयन और प्रतिस्थापन करना।
योजना के तहत चयनित स्टेशनों हेतु प्रमुख कार्य
- स्टेशनों तक सुगम पहुंच: मौजूदा भवन उपयोग की समीक्षा की जाएगी और स्टेशन के प्रवेश द्वारों के पास यात्रियों के लिए जगह छोड़ी जाएगी तथा रेलवे कार्यालयों को उपयुक्त रूप से स्थानांतरित किया जाएगा।
- सड़कों को चौड़ा करने, अवांछित संरचनाओं को हटाने, उचित रूप से डिज़ाइन किए गए साइनेज, समर्पित पैदल मार्ग, बेहतर प्रकाश व्यवस्था आदि के माध्यम से स्टेशनों तक सुगमता से पहुंच सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।
- एक स्टेशन एक उत्पाद: इस पहल (One Station One Product) के लिए न्यूनतम दो स्टालों का प्रावधान किया जाएगा।
- उच्च स्तरीय प्लेटफॉर्म: सभी श्रेणियों के स्टेशनों पर उच्च स्तरीय प्लेटफॉर्म (760-840 मिलीमीटर) प्रदान किए जाएंगे। प्लेटफार्मों की लंबाई आम तौर पर 600 मीटर की होगी।
- मुफ्त वाई-फाई: ऐसे प्रावधान किए जा सकते हैं कि जहां तक संभव हो स्टेशन अपने उपयोगकर्ताओं को मुफ्त वाई-फाई की सुविधा प्रदान करे। मास्टर प्लान में 5-जी टावरों के लिए उपयुक्त स्थान होना चाहिए।
- दिव्यांगजन व महिलाओं के अनुकूल: सभी श्रेणियों के स्टेशनों पर महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए अलग-अलग प्रावधानों के साथ पर्याप्त संख्या में शौचालय उपलब्ध कराए जाएंगे।
- स्टेशनों पर दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं रेलवे बोर्ड द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार होंगी।
- प्रतीक्षालयों को क्लब करना: विभिन्न प्रकार के प्रतीक्षालयों को क्लब करने का प्रयास किया जाएगा और जहां तक संभव हो अच्छा कैफेटेरिया/खुदरा सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा।
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022
28 दिसंबर, 2022 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) द्वारा राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 (National Geospatial Policy 2022) अधिसूचित की गई। इस नीति को 16 दिसंबर, 2022 को कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त हुई थी।
नीति की प्रमुख विशेषताएं
- यह एक 13-वर्षीय दिशानिर्देश है, जिसका उद्देश्य देश के भू-स्थानिक डेटा उद्योग को बढ़ावा देना और नागरिक सेवाओं में सुधार एवं उपयोग हेतु एक राष्ट्रीय ढांचे का विकास करना (To Develop National Framework) है।
- यह नीति वर्ष 2030 तक संपूर्ण देश के लिए एक हाईरेजोल्यूशन स्थलाकृतिक सर्वेक्षण एवं मैपिंग (High Resolution Topographic Survey & Mapping) तथा अधिक सटीकता वाले डिजिटल उन्नयन मॉडल (High accuracy digital elevation model) को विकसित करना चाहती है।
- यह नीति निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बेहतर रूप से परिभाषित कस्टोडियनशिप मॉडल तथा डेटा आपूर्ति श्रृंखला (Custodianship Model and Data Supply Chain) के माध्यम से जिओ-स्पेशियल डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर (Geo-spatial Data Infrastructure) के निर्माण एवं प्रचार की रूपरेखा तैयार करती है।
- इस नीति में राष्ट्रीय स्तर पर भू-स्थानिक डेटा संवर्धन और विकास समिति (Geospatial Data Promotion and Development Committee-GDPDC) नामक शीर्ष निकाय के गठन का उल्लेख किया गया है।
- यह समिति विभिन्न मंत्रालयों में भू-स्थानिक डेटा के उपयोग पर विवरण प्रदान करने तथा विशेष परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए निजी स्टार्टअप और कंपनियों के विकास को सक्षम करने के लिए उत्तरदायी होगी।
- यह नीति नेशनल डिजिटल ट्विन (National Digital Twin) के उपयोग की भी चर्चा करती है, जो वास्तविक दुनिया की वस्तुओं को सटीक रूप से प्रतिबिंबित करने के लिए डिजाइन किया गया एक वर्चुअल मॉडल (Virtual Model) है।
- नीति के अंतर्गत 14 राष्ट्रीय मौलिक क्षेत्रीय भू-स्थानिक डेटा थीम (14 National Basic Regional Geospatial Data Themes) के निर्माण की रूपरेखा तैयार की गई है। इसका उपयोग आपदा प्रबंधन, खनन, वानिकी और अन्य क्षेत्रों में वाणिज्यिक भू-स्थानिक डेटा के उपयोग एवं विकास को बढ़ावा देने वाले विभिन्न क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए किया जाएगा।
- नीति के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि वह वर्ष 2005 तक निजी संगठनों एवं कंपनियों के लिए 'बेहतर अवस्थितिक डेटा' (Advanced Location Data) की उपलब्धता एवं पहुंच में सुधार करे।
- सरकार एक एकीकृत डेटा और सूचना ढांचा स्थापित करने का विचार कर रही है, जिसके तहत वर्ष 2030 तक भू-स्थानिक ज्ञान अवसंरचना (Geospatial Knowledge Infrastructure-GKI) का विकास किया जाएगा।
क्या है भू-स्थानिक डेटा?
- यह एक समय आधारित डेटा होता है, जिसे पृथ्वी की सतह पर किसी विशेष स्थान से संबंधित माना जाता है।
- इसके माध्यम से किसी निश्चित समय में पृथ्वी के किसी निश्चित स्थान पर वस्तुओं, घटनाओं अथवा अन्य विशेषताओं का स्पष्ट अवस्थिति के साथ वर्णन किया जा सकता है।
- सामान्य रूप से, भू-स्थानिक डेटा किसी स्थान की जानकारी (पृथ्वी के अक्षांश एवं देशांतर की सटीक स्थिति) से संबंधित होता है। इसमें स्थान विशेष की विशेषताओं (वस्तु अथवा घटना) तथा समय अवधि संबंधी विशेषताएं शामिल होती हैं।
- रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing), भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) तथा इंटरनेट मैपिंग टेक्नोलॉजी (Internet Mapping Technology) भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के प्रमुख उदाहरण हैं।