सामयिक
पर्यावरण:
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2022
जर्मनवाच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा संकलित जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2022 (Climate Change Performance Index: CCPI 2022) का 17वां संस्करण 9 नवंबर, 2021 को जारी किया गया।
(Image Source: https://ccpi.org/)
महत्वपूर्ण तथ्य: वार्षिक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक वर्ष 2005 से प्रकाशित किया जाता है।
- CCPI 60 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण है।
- समग्र रैंकिंग के पहले तीन स्थानों पर किसी भी देश को जगह नहीं दी गई है।
- सूचकांक में डेनमार्क चौथे, स्वीडन पांचवें, नॉर्वे छठे, यूनाइटेड किंगडम सातवें तथा मोरक्को आठवें स्थान पर है।
- सूचकांक में सबसे अंतिम 64वें स्थान पर कजाकिस्तान है।
सूचकांक में भारत की स्थिति: समग्र रैंकिंग में भारत 69.22 के स्कोर के साथ 10वें नंबर पर है। भारत ने अक्षय ऊर्जा श्रेणी को छोड़कर उच्च प्रदर्शन किया है, अक्षय ऊर्जा श्रेणी में इसे "मध्यम" स्थान दिया गया है। भारत अपेक्षाकृत कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन से लाभान्वित हो रहा है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन श्रेणी: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन श्रेणी में भी पहले तीन रैंक को खाली रखा गया है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले में यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, मेक्सिको, चिली और मिस्र शीर्ष स्थान पर हैं। भारत यहां भी 31.42 के स्कोर के साथ 10वें स्थान पर है।
भारत अत्यधिक गर्मी की चपेट में: लैंसेट रिपोर्ट
अक्टूबर 2021 में मेडिकल जर्नल द लैंसेट की एक प्रमुख रिपोर्ट, 'द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज' (the Lancet Countdown on Health and Climate Change) के अनुसार, भारत 1990 की तुलना में 15% अधिक गर्मी की चपेट में आ गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: 1986-2005 के आधारभूत औसत की तुलना में 2020 में 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग ग्रीष्म लहरों के 3.1 बिलियन अधिक दिनों से प्रभावित थे।
- चीनी, भारतीय, अमेरिकी, जापानी और इंडोनेशियाई वरिष्ठ नागरिक सबसे अधिक प्रभावित हुए।
- गर्मी के संपर्क में आने के कारण 2020 में दुनिया भर में 295 बिलियन घंटे के संभावित कार्य का नुकसान हुआ।
- 2018 और 2019 के बीच, भारत और ब्राजील में गर्मी से संबंधित मृत्यु दर में सबसे बड़ी वृद्धि हुई थी।
- मध्यम-मानव विकास सूचकांक वाले देशों में जलवायु-संबंधी चरम घटनाओं का आर्थिक नुकसान बहुत अधिक एचडीआई देशों की तुलना में तीन गुना अधिक था।
- सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष, 2015 और 2019 के बीच वायु प्रदूषण मृत्यु दर लागत में वृद्धि के साथ दक्षिण-पूर्व एशिया एकमात्र क्षेत्र था।
- 2021 की रिपोर्ट के अनुसार 134 देशों की आबादी ने वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि का अनुभव किया है।
पंजाब की सिंधु नदी डॉल्फिन के संरक्षण की योजना
केंद्र द्वारा एक परियोजना के हिस्से के रूप में पंजाब सर्दियों में ‘सिंधु नदी डॉल्फिन’ की जनगणना शुरू करेगा।
(Image Source: https://twitter.com/wwf)
महत्वपूर्ण तथ्य: सिंधु नदी डॉल्फिन एक मीठे पानी की डॉल्फिन है, जो ब्यास नदी में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम 'प्लैटनिस्टा गैंगेटिका माइनर' (Platanista gangetica minor) है।
- पंजाब के वन्यजीव संरक्षण विभाग ने सिंधु नदी डॉल्फिन और उसके आवास के संरक्षण के लिए यह पहल की है।
- ‘सिंधु नदी डॉल्फिन’ को आईयूसीएन द्वारा संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- कुछ समय पहले तक, यह माना जाता था कि ‘सिंधु नदी डॉल्फिन’ पाकिस्तान के लिए स्थानिक थे। लेकिन 2007 में, पंजाब के हरिके वन्यजीव अभयारण्य और निचली ब्यास नदी में इसके अवशेष लेकिन व्यवहार्य आबादी की खोज की गई थी।
- सिंधु नदी डॉल्फिन को 2019 में पंजाब का ‘राज्य जलीय जंतु’ (State aquatic animal) घोषित किया गया था।
सोलर आयरनिंग कार्ट
‘सोलर आयरनिंग कार्ट’ (Solar Ironing Cart) के विचार के लिए ‘अर्थ डे नेटवर्क राइजिंग स्टार 2021 (यूएसए)’ से सम्मानित तमिलनाडु की 15 वर्षीय बालिका विनीशा उमाशंकर ने नवंबर 2021 में संपन्न कॉप-26 सम्मेलन के दौरान दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने का आह्वान किया है।
(Image Source: PIB)
महत्वपूर्ण तथ्य: तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले की 10वीं कक्षा की छात्रा विनीशा के मोबाइल आयरनिंग कार्ट का प्रोटोटाइप ‘स्ट्रीम आयरन (इस्त्री) बॉक्स’ को बिजली प्रदान करने के लिए सौर पैनलों का उपयोग करता है।
आयरनिंग कार्ट को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) भारत द्वारा वर्ष 2019 में विकसित किया गया।
- सोलर आयरनिंग कार्ट का मुख्य लाभ यह है कि यह स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक स्वागत योग्य बदलाव लाने के लिए आयरन ((इस्त्री) के लिए कोयले की जरूरत को समाप्त कर देता है।
- अंतिम उपयोगकर्ता अपनी दैनिक आय बढ़ाने के लिए इधर-उधर घूमकर लोगों को उनके घर पर सेवाएं दे सकते हैं।
- आयरनिंग कार्ट को सिक्के से संचालित जीएसएम पीसीओ, यूएसबी चार्जिंग प्वाइंट और मोबाइल रिचार्जिंग पर स्थापित किया जा सकता है, जिससे अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है।
- इस उपकरण को सूर्य के प्रकाश के अभाव में प्री-चार्ज बैटरी, बिजली या डीजल चालित जनरेटर से भी बिजली प्रदान की जा सकती है।
तुवालु जलवायु परिवर्तन से प्रभावित
तुवालु के विदेश मंत्री साइमन कोफे ने 5 नवंबर, 2021 को समुद्र में खड़े होकर जलवायु परिवर्तन पर 'संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन कॉप-26' को संबोधित किया।
(Image Source: https://www.ndtv.com/)
महत्वपूर्ण तथ्य: अपने यादगार भाषण में कोफे ने चेतावनी दी कि तुवालु जैसे छोटे प्रशांत द्वीप राष्ट्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
- तुवालु, एक छोटा प्रशांत द्वीप राष्ट्र है, जो हवाई और ऑस्ट्रेलिया के बीच में स्थित है।
- कोफे सबका ध्यान तुवालु के आसपास बढ़ते समुद्र के जलस्तर की तरफ आकर्षित करना चाहते थे। समुद्र का स्तर बढ़ता रहा तो इसे पूरी तरह से गायब होने के खतरे का सामना करना पड़ेगा।
- 2011 की ऑस्ट्रेलियाई सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, द्वीप राष्ट्र तुवालु, में 1993 से हर साल समुद्र के स्तर में लगभग 0.5 सेंटीमीटर की वृद्धि देखी गई है।
- तुवालु अकेला नहीं है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी प्रशांत महासागर में समुद्र का स्तर 1990 के बाद से वैश्विक औसत से 2-3 गुना की दर से बढ़ रहा है।
- अगर समुद्र का स्तर इस दर से बढ़ता रहा तो मार्शल द्वीप सहित इनमें से कुछ द्वीप एक राष्ट्र के रूप में अपना दर्जा खो सकते हैं।
- मोंटेवीडियो अभिसमय में निर्धारित अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, एक स्टेट (देश) को चार मुख्य मानदंडों के अनुसार परिभाषित किया जाता है: एक स्थायी आबादी, एक परिभाषित क्षेत्र, एक सरकार और अन्य राज्यों के साथ संबंध बनाने की क्षमता।
जलवायु सुभेद्यता सूचकांक
पर्यावरण थिंक टैंक 'काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वॉटर' (Council on Energy, Environment and Water: CEEW) द्वारा 25 अक्टूबर, 2021 को 'जलवायु सुभेद्यता सूचकांक' (Climate Vulnerability Index) जारी किया गया, जिसमें भारत के 640 जिलों का विश्लेषण किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: यह अध्ययन भारत का अपनी तरह का पहला जिला-स्तरीय जलवायु भेद्यता आकलन है।
- यह एक्सपोजर (चरम मौसमीय घटनाओं के प्रति प्रवण जिला), संवेदनशीलता (मौसमीय घटनाओं का जिले पर प्रभाव की आशंका) और अनुकूलन क्षमता (जिले की प्रतिक्रिया) का मानचित्रण करके जलवायु भेद्यता सूचकांक प्रस्तुत करता है।
- अध्ययन में जल-मौसम संबंधी आपदाओं (hydro-met disasters) जैसे- बाढ़, चक्रवात और सूखा के संयुक्त जोखिम को देखा गया है और भेद्यता पर उनके मिश्रित प्रभावों को देखा गया है।
मुख्य निष्कर्ष: भारत की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी ऐसे जिलों में रहती है, जो अत्यधिक जल-मौसमीय आपदा की चपेट में हैं।
- असम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी चरम जलवायु घटनाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं।
- 27 भारतीय राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश चरम जलवायु घटनाओं की चपेट में हैं, 640 में से 463 जिले चरम मौसमीय घटनाओं की चपेट में हैं।
- भारत में छह क्षेत्रों में से पांच, यानी दक्षिण, उत्तर, उत्तर-पूर्व, पश्चिम और मध्य में अत्यधिक जल-मौसम संबंधी आपदाओं के लिए कम अनुकूलन क्षमता है।
जीके फैक्ट: असम में धेमाजी और नागांव, तेलंगाना में खम्मम, ओडिशा में गजपति, आंध्र प्रदेश में विजयनगरम, महाराष्ट्र में सांगली और तमिलनाडु में चेन्नई भारत के सबसे संवेदनशील जिलों में से हैं।
अंटार्कटिक समुद्री जीव संपदा संरक्षण आयोग
भारत ने 29 सितंबर, 2021 को मंत्री स्तरीय शिखर बैठक में अंटार्कटिक पर्यावरण संरक्षण और पूर्वी अंटार्कटिक तथा वेड्डेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Area: MPA) के अंतर्गत लाने के यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के सह-प्रायोजनके लिए अपना समर्थन जताया।
(Image Source: https://www.ccamlr.org/)
महत्वपूर्ण तथ्य: चोरी-छिपे और अवैध तरीके से मछली पकड़ने की गतिविधियों को विनियमित करने के लिए प्रस्तावित दोनों समुद्री संरक्षित क्षेत्र आवश्यक हैं।
- भारत ने 'अंटार्कटिक समुद्री जीव संपदा संरक्षण आयोग' (Commission for the Conservation of Antarctic Marine Living Resources: CCAMLR) के सदस्य देशों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि भारत भविष्य में इन समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के नियमों के निर्धारण, इनको अपनाने के तौर तरीकों और कार्यान्वयन तंत्र से जुड़ा रहे।
- विशिष्ट संरक्षण, प्राकृतिक आवास संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी, या मत्स्य प्रबंधन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए समुद्री संरक्षित क्षेत्र के दायरे में कुछ गतिविधियां सीमित या प्रतिबंधित हैं।
- CCAMLR संपूर्ण अंटार्कटिक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की प्रजातियों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने के लिए ‘अंटार्कटिक मत्स्य पालन प्रबंधन’ की एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
- CCAMLR संधि अप्रैल 1982 में लागू हुई। भारत CCAMLR का 1986 से स्थायी सदस्य रहा है।
- भारत में CCAMLR से संबंधित कार्य पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय ‘सेंटर फॉर मरीन लिविंग रिसोर्सेज एंड इकोलॉजीकोच्चि, केरल’ के माध्यम से समन्वित किए जाते हैं।
2020 में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन दशकीय औसत से ऊपर (
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा 25 अक्टूबर, 2021 को जारी ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन रिपोर्ट के अनुसार 2019 से 2020 तक कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि 2018 से 2019 की तुलना में थोड़ी कम थी, लेकिन पिछले दशक की औसत वार्षिक वृद्धि दर से अधिक थी।
(Image Source: https://www.cleanpng.com/)
महत्वपूर्ण तथ्य: यह वृद्धि महामारी से संबंधित प्रतिबंधों के कारण 2020 में जीवाश्म ईंधन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 5.6% की गिरावट के बावजूद है।
- अद्यतन आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में महामारी के व्यवधान ने समग्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण रूप से सेंध नहीं लगाई।
- मीथेन के लिए, 2019 से 2020 तक की वृद्धि 2018 से 2019 तक की तुलना में अधिक थी और पिछले दशक की औसत वार्षिक वृद्धि दर से भी अधिक थी।
- नाइट्रस ऑक्साइड के लिए भी, वृद्धि अधिक थी और पिछले 10 वर्षों में औसत वार्षिक वृद्धि दर से भी अधिक थी।
- सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता 2020 में 413.2 भाग प्रति मिलियन (Parts Per Million: PPM) तक पहुंच गई, जो पूर्व-औद्योगिक स्तर का 149% है।
- वर्ष 1750, जब मानव गतिविधियों ने पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन को बाधित करना शुरू कर दिया था, की तुलना में मीथेन की सांद्रता का स्तर 262% और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता का स्तर 123% है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम बदलकर रामगंगा नेशनल पार्क करने का प्रस्ताव रखा है।
महत्वपूर्ण तथ्य: हिमालय की तलहटी में स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क (कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान) 520.86 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह नैनीताल जिले के रामनगर के पास स्थित है।
- यह कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का हिस्सा है। टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1288.31 वर्ग किमी. है, जो उत्तराखंड के तीन जिलों पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल और अल्मोड़ा में फैला हुआ है।
- 1936 में भारत और एशिया के पहले राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित इस उद्यान को संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर मैलकम हैली के नाम पर ‘हेली नेशनल पार्क’ के नाम से जाता था।
- बाद मे इसका नाम बदलकर उद्यान से बहकर जाने वाली नदी रामगंगा के नाम पर 'रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान' कर दिया गया था। 1957 में इसका नाम महान प्रकृतिवादी, प्रख्यात संरक्षणवादी दिवंगत जिम कॉर्बेट की स्मृति में ‘कॉर्बेट नेशनल पार्क’ कर दिया गया था।
- जिम कॉर्बेट को आदमखोरों बाघों के शिकारी, एक प्रकृतिवादी और लेखक के रूप में जाना जाता है, उन्होंने इस उद्यान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- 301 वर्ग किमी. में फैले सोननादी वन्यजीव अभयारण्य के साथ यह राष्ट्रीय उद्यान मिलकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का महत्वपूर्ण बाघ पर्यावास स्थल बनाता है।
भारत फसल जलाने से संबंधित उत्सर्जन में विश्व स्तर पर शीर्ष पर
जलवायु प्रौद्योगिकी स्टार्टअप 'ब्लू स्काई एनालिटिक्स' (Blue Sky Analytics) द्वारा अक्टूबर 2021 में जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2015-2020 की अवधि के दौरान फसल जलाने से संबंधित उत्सर्जन में कुल वैश्विक उत्सर्जन में 13% योगदान के साथ भारत शीर्ष पर है।
महत्वपूर्ण तथ्य: 2016 और 2019 के बीच रिपोर्ट फसल जलने की घटनाओं में गिरावट की प्रवृत्ति की पुष्टि करती है, जिसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 11.39% की कमी दर्ज की गई है।
- हालाँकि, रिपोर्ट में 2019-20 में उत्सर्जन में 12.8% की वृद्धि का उल्लेख किया गया है, जिससे 2020 में भारत का वैश्विक उत्सर्जन में योगदान 12.2% हो गया है।
- भारतीय जलवायु प्रौद्योगिकी स्टार्टअप ब्लू स्काई एनालिटिक्स वैश्विक गठबंधन ' क्लाइमेट ट्रेस' (Climate TRACE) का हिस्सा है।
- ब्लू स्काई एनालिटिक्स की स्थापना एक आईआईटी की पूर्व छात्रा अभिलाषा पुरवार द्वारा की गई थी, जो इसकी सीईओ भी हैं।
- क्लाइमेट ट्रेस स्वतंत्र उच्च-रिजॉल्यूशन और निकट-रियल टाइम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन डेटा प्रदान करके जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने के मिशन के साथ एक वैश्विक गठबंधन है।