तेल बॉन्ड

  • 19 Aug 2021

केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि वह पेट्रोल और डीजल पर करों को कम नहीं कर सकता क्योंकि पिछली यूपीए सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में सब्सिडी के लिए जारी किए गए तेल बॉन्ड (Oil bonds) के एवज में भुगतान का बोझ उठाना पड़ रहा है।

महत्वपूर्ण तथ्य: ईंधन की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने से पहले, यूपीए शासन के दौरान पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ रसोई गैस और मिट्टी के तेल को रियायती दरों पर बेचा जाता था।

  • बजट से तेल विपणन कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय, तत्कालीन सरकार ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए इन ईंधन खुदरा विक्रेता कंपनियों को कुल 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी किए।
  • इन बॉन्डों पर ब्याज और प्रमुख घटकों को चुकाने की आवश्यकता का हवाला देते हुए, केंद्र ने अपने वित्त की जरूरतों के लिए उच्च उत्पाद शुल्क (excise duty) की आवश्यकता का तर्क दिया है।
  • एनडीए सरकार ने भी 3.1 लाख करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण बांड जारी करके राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों और अन्य संस्थानों में पूंजी लगाने के लिए इसी तरह की रणनीति का इस्तेमाल किया है।