ब्राह्मणी नदी बेसिन से ताजे पानी का पथांतरण

  • 22 Sep 2021

सितंबर 2021 में पर्यावरणविदों ने ब्राह्मणी नदी बेसिन से ताजे पानी के बड़े पैमाने पर पथांतरण (diversion) पर चिंता व्यक्त की है, जो ओडिशा में प्रसिद्ध मैंग्रोव वनस्पति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य: तालचर-अंगुल कोयला खदानों, इस्पात और बिजली संयंत्र के साथ-साथ कलिंगनगर स्टील और पावर हब द्वारा ब्राह्मणी नदी से भारी मात्रा में इस ताजे पानी का प्रयोग किया जा रहा है।

  • 195 वर्ग किमी. में फैली भितरकनिका रामसर आर्द्रभूमि 62 मैंग्रोव प्रजातियों का घर है। इसके अलावा, भितरकणिका मैंग्रोव वन के दलदल में 1600 खारे पानी के मगरमच्छ पाए जाते हैं।
  • ब्राह्मणी और खारसरोटा नदियों के निचले किनारों के पास समुद्री जल के साथ मीठे पानी के मिश्रण से मैंग्रोव के लिए आदर्श 'खारे पानी' का उत्पादन होता है।

ब्राह्मणी नदी: ब्राह्मणी भारत में प्रमुख अंतरराज्यीय पूर्व की ओर प्रवाहित वाली नदियों में से एक है।

  • ब्राह्मणी नदी बेसिन झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों को कवर करती है और इसका कुल जलग्रहण क्षेत्र 39,033 वर्ग किमी. है।
  • यह छोटानागपुर पठार से दो प्रमुख नदियों शंख (Sankh) और दक्षिण कोयल (South Koel) के रूप में निकलती है, जो ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में राउरकेला के पास वेदव्यास में आपस में मिलकर प्रमुख नदी ब्राह्मणी के रूप में आगे बढती हैं।
  • इसकी कुल लंबाई लगभग 799 किलोमीटर है। इस नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ शंख, टिकरा और कारो हैं।