गैर-संरचनात्मक 1 प्रोटीन

  • 02 Mar 2022

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, हैदराबाद ने गैर-संरचनात्मक 1 प्रोटीन (Non-Structural 1 protein: NS1) की तीव्र, संवेदनशील और विशिष्ट पहचान के लिए इलेक्ट्रोकेमिकल आधारित इम्यूनोसेंसर के रूप में कम ग्राफीन ऑक्साइड (rGO) के साथ निर्मित फ्लोरीन डोपेड टिन ऑक्साइड (FTO) इलेक्ट्रोड विकसित किया है, जो रक्त में परिसंचरण करते हुये जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेईवी) के लिए उपयुक्त बायोमार्कर है।

(Image Source: https://www.who.int/)

महत्वपूर्ण तथ्य: चूंकि जेईवी निदान के लिए पारंपरिक तरीके महंगे, अधिक खतरनाक और समय लेने वाली नैदानिक तकनीक हैं और इसके लिए एक विस्तृत प्रयोगशाला की स्थापना और प्रशिक्षित विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। ऐसे में विकसित बायोसेंसर इन कमियों से पार पाने में सक्षम हो सकता है।

  • एंटीबॉडी के बजाय NS1 का पता लगाने का अतिरिक्त लाभ भी है क्योंकि एंटीजन संक्रमण के पहले दिन से मौजूद होता है और इसलिए जल्दी पता लगाने की सुविधा देता है। दूसरी ओर एंटीबॉडी संक्रमण के 4/5 दिन के बाद ही दिखाई देते हैं।

जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस (जेईवी): यह दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत में मच्छर जनित एन्सेफलाइटिस का प्रमुख कारण है और इसका अक्सर डेंगू के रूप में गलत निदान किया जाता है।

  • जेईवी 'फ्लेविविराईडी' (Flaviviridae) फैमिली और 'फ्लेविवाइरस' (Flavivirus) जीनस से संबंधित है और एक पशुजन्य (जूनोटिक) चक्र में मौजूद है।
  • चूंकि जेईवी का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है इसलिए इससे उत्पन्न रोगों के संक्रमण (ब्रेकआउट) को कम करने के लिए इनका जल्दी पता लगाना आवश्यक है।