उल्लू प्रजाति संरक्षण

  • 21 Mar 2022

उल्लुओं को होने वाले सामान्य खतरों को उजागर करने और उल्लुओं की प्रभावी पहचान के लिए 'ट्रेफिक' (TRAFFIC) और 'डब्ल्यूडब्ल्यूएफ - इंडिया' (WWF - India) ने हाल में एक पहचान उपकरण लॉन्च किया है।

(Image Source: https://twitter.com/TRAFFIC_India)

महत्वपूर्ण तथ्य: कानून प्रवर्तन अधिकारियों को देश में अवैध व्यापार में आम तौर पर पाई जाने वाली 16 उल्लू प्रजातियों की सही पहचान करने में सक्षम बनाने के लिए पहचान (आईडी) कार्ड जारी किए गए हैं।

  • अंग्रेजी और हिंदी में ये आईडी कार्ड पूरे भारत में वन्यजीव कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मुफ्त में वितरित किए जाएंगे।
  • नए आईडी टूल इनकी प्रजातियों की कानूनी स्थिति, आवास और वितरण से संबंधित आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं।
  • वे प्रजातियों के स्तर पर उल्लुओं की पहचान करने और सामान्य खतरों को उजागर करने के लिए कीमती सुझाव भी प्रदान करते हैं।

भारत में उल्लू की प्रजातियाँ: भारत में उल्लू की लगभग 36 प्रजातियाँ हैं, जो सभी वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं।

  • हालाँकि, प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार पर गणना की बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, जिससे ये प्रजातियाँ अतिसंवेदनशील (vulnerable) हो जातीहैं।

संरक्षण: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार उल्लूओं का शिकार करना, व्यापार करना या किसी अन्य प्रकार का उपयोग एक दंडनीय अपराध है; भारत में पाई जाने वाली सभी उल्लू प्रजातियों को CITES के तहत भी सूचीबद्ध किया गया है, जो इनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित करता है।

ट्रेफिक (TRAFFIC: इसकी स्थापना 1976 में WWF और IUCN द्वारा वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क के रूप में की गई थी ताकि वन्यजीव व्यापार पर निर्णय लेने की सूचना देने के लिए डेटा संग्रह, विश्लेषण और सिफारिशों का प्रावधान किया जा सके।