सामयिक
अंतर्राष्ट्रीय:
G7 की 48वीं शिखर सम्मेलन
26 जून 2022 को जर्मनी के बवेरियन आल्प्स में तीन दिवसीय G7 नेताओं की 48वीं शिखर सम्मेलन बैठक आयोजित की गई थी।
महत्वपूर्ण तथ्य
- 48वां G7 शिखर सम्मेलन 2022 जर्मनी की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है।
- जर्मनी ने 2022 के शिखर सम्मेलन में भागीदार देशों के रूप में अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका के साथ भारत को आमंत्रित किया है।
- 2019 के बाद से, यह लगातार चौथी बार है जब भारत को G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
- G7 देशो ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए 600 बिलियन डॉलर की बुनियादी ढांचा पहल (Infrastructure initiative) की घोषणा की है।
- इस फंड को पांच साल में निवेश किया जाएगा। अमेरिका पांच साल में 200 अरब डॉलर जुटाएगा।
- अमेरिकी राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने जर्मनी में पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर (Partnership for Global Infrastructure) की शुरुआत की।
G7
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26वीं राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक
22 जून 2022 को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 26वीं राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (Commonwealth Heads of Government Meeting) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए रवांडा के चार दिवसीय दौरे पर गए थे।
महत्वपूर्ण तथ्य
- 26वीं राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक 20-25 जून 2022 तक किगाली, रवांडा में आयोजित की जा रही है।
- इस शिखर सम्मेलन का विषय 'डिलीवरिंग ए कॉमन फ्यूचर: कनेक्टिंग, इनोवेटिंग, ट्रांसफॉर्मिंग' (Delivering a Common Future: Connecting, Innovating, Transforming) है।
राष्ट्र के राष्ट्रमंडल (Commonwealth of Nations)
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14वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जून 2022 को चीन द्वारा आयोजित दो दिवसीय 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
महत्वपूर्ण तथ्य
- इस शिखर सम्मेलन को 'उच्च गुणवत्ता वाली ब्रिक्स साझेदारी को बढ़ावा देना, वैश्विक विकास के लिए एक नए युग की शुरुआत' (Foster High-quality BRICS Partnership, Usher in a New Era for Global Development) के विषय के तहत आभासी प्रारूप में आयोजित किया गया था।
- 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान, आतंकवाद, व्यापार, स्वास्थ्य, पारंपरिक चिकित्सा, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, नवाचार, कृषि, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों जैसे क्षेत्रों में विचार-विमर्श हुई।
- बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार, COVID-19 महामारी का मुकाबला करने और वैश्विक आर्थिक सुधार जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
- चीन और रूस ने ब्रिक्स समूह के विस्तार पर चर्चा करने की इच्छा भी व्यक्त की है जिसमें वर्तमान में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
- संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, उरुग्वे और मिस्र को शामिल करके ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक का पहले ही विस्तार हो चुका है|
ब्रिक्स
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युवा सांसदों का वैश्विक सम्मेलन
15 से 16 जून, 2022 तक जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए मिस्र के शर्म अल शेख में युवा सांसदों का दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था।
महत्वपूर्ण बिंदु
- यह वैश्विक सम्मेलन संयुक्त रूप से अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union) और मिस्र के प्रतिनिधि सभा द्वारा आयोजित किया गया था।
- युवा सांसदों का 8वां वैश्विक सम्मेलन विश्व भर के युवा सांसदों को युवा सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के लिए सीखने और सामान्य एवंनवीन रणनीतियों को परिभाषित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- इस सम्मेलन में नागालैंड की पहली महिला सांसद सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुनी गई, एस. फांगोन कोन्याकभारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
- इस सम्मेलन में, 60 देशों के लगभग 200 युवा सांसद जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए इसमें भाग ले रहे हैं।
भारत - नेपाल संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 16 मई, 2022 को लुंबिनी की आधिकारिक यात्रा पर रहे।
महत्वपूर्ण तथ्य: प्रधानमंत्री ने बुद्ध के जन्म स्थान लुंबिनी में 'इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एंड मेडिटेशन हॉल' में आयोजित 2566वें बुद्ध जयंती समारोह में भाग लिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ लुंबिनी मठ क्षेत्र में 'भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र' के निर्माण के लिए शिलान्यास किया।
- इस बौद्ध संस्कृति केंद्र का निर्माण अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ (IBC), नई दिल्ली द्वारा किया जाएगा। यह एक आधुनिक इमारत होगी, जो ऊर्जा, जल और अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में नेट जीरो के मानकों के अनुरूप होगी, और इसमें प्रार्थना कक्ष और ध्यान केंद्र होंगे।
- प्रधानमंत्री ने लुंबिनी में मायादेवी मंदिर के दर्शन भी किए, जो बुद्ध की माता को समर्पित है।
समझौते: बौद्ध अध्ययन के लिए डॉ. अम्बेडकर पीठ की स्थापना पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन।
- भारतीय अध्ययन की आईसीसीआर पीठ की स्थापना पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और काठमांडू विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन।
- मास्टर स्तर पर संयुक्त डिग्री कार्यक्रम के लिए काठमांडू विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के बीच समझौता।
- अरुण 4 परियोजना के विकास और कार्यान्वयन के लिए एसजेवीएन लिमिटेड और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के बीच एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।
कनाडा का 'ऑनलाइन समाचार अधिनियम'
मई 2022 में कनाडा ने गूगल जैसे डिजिटल समाचार मध्यस्थों (intermediaries) को विनियमित करने के लिए एक ऑनलाइन समाचार अधिनियम बनाया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: इसमें गूगल जैसे मध्यस्थ द्वारा उपलब्ध कराई गई खबरों के लिए समाचार व्यवसायों को उचित मुआवजे के प्रावधान की परिकल्पना की गई है।
- ज्ञात हो कि गूगल इन समाचार पत्रों के डिजिटल संस्करणों द्वारा उत्पन्न सामग्री पर भारी मात्रा में विज्ञापन राजस्व अर्जित करता है।
भारत पर प्रभाव: भारत में गूगल के खिलाफ इसी तरह की लड़ाई में डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) द्वारा शीर्ष भारतीय समाचार पत्रों और उनके डिजिटल संस्करणों का प्रतिनिधित्व किया जा रहा है।
- भारतीय समाचार पत्रों का आरोप है कि गूगल द्वारा कोई उचित भुगतान या राजस्व का बंटवारा नहीं किया गया है, जिससे भारत में समाचार प्रकाशकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है।
- कनाडा में यह आदेश ऐसे समय में आया है जब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने DNPA की ओर से दर्ज शिकायत के आधार पर गूगल को नोटिस जारी किया है।
भारत के प्रधानमंत्री की डेनमार्क यात्रा
यूरोपीय देशों की तीन दिवसीय अपनी यात्रा के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 मई, 2022 को डेनमार्क पहुंचे।
(Image Source: https://twitter.com/ANI/)
महत्वपूर्ण तथ्य: भारत और डेनमार्क हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा और अपशिष्ट जल प्रबंधन पर फोकस के साथ हरित रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमत हुए।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिकसन ने विभिन्न क्षेत्रों में विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य, पत्तन, नौवहन, चक्रीय अर्थव्यवस्था और जल प्रबंधन के क्षेत्रों में हुई महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा की।
- दोनों देशों ने हरित नौवहन, पशुपालन और डेयरी, जल प्रबंधन, ऊर्जा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों को कवर करने वाले कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने वाराणसी में ‘स्वच्छ नदी जल को लेकर एक स्मार्ट प्रयोगशाला’ और और ‘स्मार्ट जल संसाधन प्रबंधन पर उत्कृष्टता केंद्र’ जैसी नई पहलों को शुरू करने के दोनों देशों के इरादे का स्वागत किया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 'हरित नौवहन पर उत्कृष्टता केंद्र' (Centre of Excellence on Green Shipping) की स्थापना पर आशय पत्र का भी स्वागत किया।
- दोनों प्रधानमंत्रियों ने 'इंडिया ग्रीन फाइनेंस इनिशिएटिव' (India Green Finance Initiative) के शुभारंभ का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य भारत में हरित विकास और रोजगार सृजन में तेजी लाने के उद्देश्य से भारत में हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण में योगदान करना है।
- भारत और डेनमार्क ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध के क्षेत्र में अपने निरंतर सहयोग की पुष्टि की है। भारत ने मिशन भागीदार के रूप में ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस सॉल्यूशंस’ (International Center for Antimicrobial Resistance Solutions: ICARS) में शामिल होने के डेनमार्क के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
कुरील द्वीप विवाद
जापान की नई डिप्लोमैटिक ब्लूबुक ने कुरील द्वीप समूह को रूस के "अवैध कब्जे" के रूप में वर्णित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: इस विवादास्पद द्वीप समूह को जापान 'उत्तरी क्षेत्र' (Northern Territories) और रूस 'दक्षिण कुरील' (South Kurils) कहता है।
कुरील द्वीप समूह/उत्तरी क्षेत्र क्या हैं? ये चार द्वीपों का एक समूह है, जो जापान के सबसे उत्तरी प्रान्त, होकैडो (Hokkaido) के उत्तर में ओखोटस्क सागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है।
- रूस और जापान दोनों इन पर दावा करते हैं, हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से द्वीप रूसी नियंत्रण में हैं।
- द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में सोवियत संघ ने द्वीपों पर कब्जा कर लिया था और 1949 तक अपने जापानी निवासियों को निष्कासित कर दिया था। जापान का दावा है कि 19वीं सदी की शुरुआत से विवादित द्वीप जापान का हिस्सा रहे हैं।
विवाद के पीछे की वजह: जापान के अनुसार, द्वीपों पर जापान की संप्रभुता की पुष्टि 1904-05 के रूस-जापानी युद्ध (इसे जापान ने जीता था) के बाद 1905 की पोर्ट्समाउथ संधि, 1855 की शिमोडा संधि, कुरील द्वीप समूह के लिए सखालिन के आदान-प्रदान के लिए 1875 की संधि (सेंट पीटर्सबर्ग की संधि) से होती है
- दूसरी ओर, रूस याल्टा समझौते (1945) और पॉट्सडैम घोषणा (1945) को अपनी संप्रभुता के प्रमाण के रूप में दावा करता है और तर्क देता है कि 1951 की सैन फ्रांसिस्को संधि कानूनी सबूत है कि जापान ने द्वीपों पर रूसी संप्रभुता को स्वीकार किया था।
दूसरा भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन
4 मई, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में 'दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन' (2nd India-Nordic Summit) में भाग लिया।
(Image Source: https://twitter.com/mygovindia/)
महत्वपूर्ण तथ्य: डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन, आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर, नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलीना एंडरसन और फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन ने भी शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
- इस शिखर सम्मेलन में स्टॉकहोम में 2018 में आयोजित पहले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के बाद से भारत-नॉर्डिक संबंधों की प्रगति की समीक्षा की गई।
- प्रधानमंत्री मोदी ने नॉर्डिक कंपनियों को विशेष रूप से भारत की सागरमाला परियोजना सहित ब्लू इकोनॉमी क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।
- आर्कटिक क्षेत्र में नॉर्डिक क्षेत्र के साथ भारत की साझेदारी पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की आर्कटिक नीति आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग के विस्तार के लिए एक अच्छी रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
- नॉर्डिक देशों ने एक संशोधित और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दोहराया।
- प्रधानमंत्री ने नॉर्डिक देशों के 'सोवेरेन वेल्थ फंड' (sovereign wealth funds) को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया।
- भारत और नॉर्डिक देशों ने 2024 तक काम पूरा करने की महत्वाकांक्षा के साथ प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि पर बातचीत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए 5.2) में ऐतिहासिक निर्णय के अनुपालन के लिए प्रतिबद्धता की है।
- नॉर्डिक देशों के साथ भारत का व्यापार 5 बिलियन डॉलर से अधिक (2020-21 में) है और संचयी एफडीआई 3 बिलियन डॉलर से अधिक (अप्रैल 2000-मार्च 2021 तक) है।
भारत के प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 मई, 2022 को पेरिस की एक संक्षिप्त यात्रा के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ यूक्रेन में उग्र संघर्ष सहित कई द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।
(Image Source: https:// twitter.com/indiaembfrance/)
महत्वपूर्ण तथ्य: दोनों शीर्ष नेताओं ने वैश्विक कल्याण के लिए ‘भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी’ कोमजबूत करने के लिए एक साथ काम करने के लिए सहमति व्यक्त की।
- विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 'आतंकवाद-रोधी सहयोग' (Counter-terrorism cooperation) भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की आधारशिला है।
- दोनों पक्षों ने 2022 में भारत द्वारा आयोजित होने वाले 'नो मनी फॉर टेरर' अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे संस्करण के लिए सक्रिय रूप से समन्वय करने की इच्छा जताई।
- भारत और फ्रांस ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
- फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन ने भारत को सबसे कमजोर देशों में खाद्य सुरक्षा के लिए ‘खाद्य और कृषि अनुकूलन मिशन (Food and Agriculture Resilience Mission: FARM) पहल में सहयोग करने के लिए आमंत्रित किया है, विशेष रूप से गेहूं के निर्यात के मामले में।
- भारत ने अपने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के तहत भारत को 'हरित हाइड्रोजन हब' बनाने की पहल में शामिल होने के लिए फ्रांस को आमंत्रित किया है।
- भारत और फ्रांस 1998 से रणनीतिक साझेदार रहे हैं। फ्रांस भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसका अप्रैल 2000 से मार्च 2021 तक 9.83 बिलियनडॉलर का संचयी एफडीआई स्टॉक है, जो भारत में कुल एफडीआई प्रवाह का 2% है।