वैश्विक ग्लोबल ड्रॉट आउटलुक रिपोर्ट 2025
- 20 Jun 2025
19 जून 2025 को, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने ‘ग्लोबल ड्रॉट आउटलुक रिपोर्ट 2025’ (वैश्विक सूखा आउटलुक रिपोर्ट 2025) जारी की, जिसमें जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की बढ़ती गंभीरता और वैश्विक प्रभावों का मूल्यांकन किया गया।
मुख्य तथ्य:
- प्रभावित क्षेत्र: विश्व की 40% भूमि पर सूखे की आवृत्ति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है; 1980 से अब तक 37% वैश्विक भूमि में मिट्टी की नमी में उल्लेखनीय गिरावट आई है और 62% मॉनिटर किए गए भूजल भंडार घट रहे हैं ।
- आर्थिक प्रभाव: औसत सूखे की वार्षिक आर्थिक लागत में 3% से 7.5% तक वृद्धि हो रही है; 2035 तक सूखे से होने वाले आर्थिक नुकसान में न्यूनतम 35% वृद्धि का अनुमान ।
- मानव और पारिस्थितिकीय प्रभाव: सूखा प्राकृतिक आपदाओं का केवल 6% है, लेकिन इससे 34% आपदा-संबंधित मौतें होती हैं; यह खाद्य असुरक्षा, प्रवास, गरीबी और असमानता को बढ़ाता है।
- जल गुणवत्ता और पारिस्थितिकी: सूखे के कारण जल गुणवत्ता में गिरावट, ताजे पानी के स्रोतों में प्रदूषण और लवणता बढ़ती है, जिससे 2050 तक जल संकट और गहरा सकता है।
- नीतिगत समाधान: रिपोर्ट में जल गुणवत्ता मानकों, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली, सिंचाई दक्षता, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और जल प्रबंधन में निवेश जैसे उपायों की सिफारिश की गई है; भारत सहित कई देशों में जल-प्रबंधन और सूखा-निगरानी कार्यक्रम चल रहे हैं।
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