भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022

  • 02 May 2022

केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल, 2022 को भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022 लोक सभा में पेश किया।

महत्वपूर्ण तथ्य: इस विधेयक का उद्देश्य अंटार्कटिका में उन क्षेत्रों पर गतिविधियों की एक शृंखला को विनियमित करने के लिए नियमों का एक समूह निर्धारित करना है, जहां भारत ने अनुसंधान केंद्र स्थापित किए हैं।

विधेयक के प्रावधान: यह अंटार्कटिका की यात्राओं और गतिविधियों के साथ-साथ महाद्वीप पर मौजूद लोगों के बीच उत्पन्न होने वाले संभावित विवादों को विनियमित करने की परिकल्पना करता है।

  • यह कुछ गंभीर उल्लंघनों के लिए दंडात्मक प्रावधान भी निर्धारित करता है।
  • यदि विधेयक कानून का रूप ले लेता है, तो अंटार्कटिका के निजी दौरे और अभियान किसी सदस्य देश द्वारा परमिट या लिखित अनुमति के बिना प्रतिबंधित होंगे।
  • एक सदस्य देश 1959 में हस्ताक्षरित अंटार्कटिक संधि के 54 हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है।भारत 1983 में संधि प्रणाली में शामिल हुआ।
  • विधेयक सरकारी अधिकारियों के लिए एक पोत का निरीक्षण करने और अनुसंधान सुविधाओं की जांच करने का प्रावधान करता है।
  • विधेयक 'अंटार्कटिक फंड' नामक एक फंड के गठन का भी प्रावधान करता है, जिसका उपयोग अंटार्कटिक के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए किया जाएगा।
  • यह अंटार्कटिका में कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है, जिनमें शामिल हैं- परमाणु विस्फोट या रेडियोधर्मी कचरे का निपटान, समुद्र में हानिकारक कचरा, प्लास्टिक या अन्य पदार्थ को छोड़ने पर।

अन्य तथ्य: अंटार्कटिक विज्ञान में सक्रिय 12 देशों द्वारा अनुमोदन के बाद 23 जून, 1961 को अंटार्कटिक संधि लागू हुई।

  • 1982 में अंटार्कटिका के अपने पहले अभियान के बाद, भारत के वर्तमान में अंटार्कटिका में दो स्थायी अनुसंधान केंद्र, 'भारती' और ‘मैत्री' हैं।