भुगतान प्रणाली टच पॉइंट्स की जियो-टैगिंग

  • 31 Mar 2022

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 25 मार्च, 2022 को ‘भुगतान प्रणाली के टच पॉइंट्स की जियो-टैगिंग’ (geo-tagging of payment system touch points) के लिए एक फ्रेमवर्क जारी किया।

(Image Source: https://www.dtnext.in/)

उद्देश्य: मजबूत भुगतान स्वीकृति अवसंरचना उपलब्धता के माध्यम से डिजिटल भुगतान को विस्तार देना और देश के सभी नागरिकों को समावेशी पहुंच मुहैया करना।

महत्वपूर्ण तथ्य: आरबीआई ने बैंक और गैर-बैंक भुगतान प्रणाली संचालकों को नियमित आधार पर अपने टच पॉइंट्स की सटीक भौगोलिक स्थिति (geographical locations) की जानकारी रखने और जमा करने के निर्देश जारी किए।

जियो-टैगिंग: जियो-टैगिंग का आशय दुकानदार द्वारा अपने ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करने के लिए भुगतान टच पॉइंट्स की भौगोलिक स्थिति (अक्षांश एवं देशांतर) चिह्नित करने से है।

  • पीओएस टर्मिनल और क्यूआर कोड के जरिये यह भुगतान स्वीकार किया जाता है।
  • भुगतान प्रणाली टच पॉइंट की जियो-टैगिंग से पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल, त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकृति वाले बुनियादी ढांचे की उपलब्धता की उचित निगरानी हो सकेगी।
  • भुगतान प्रणाली टच पॉइंट की जियो-टैगिंग की निगरानी से भुगतान ढांचे के वितरण को विस्तारित करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप को समर्थन मिलेगा।